क्या भाजपा बवाना (दिल्ली) उपचुनाव जीएसटी के कारण हारी ?
क्या भाजपा बवाना (दिल्ली) उपचुनाव जीएसटी के कारण हारी ?
दिल्ली नगर निगमों व राजौरी गार्डन विधान सभा उप-चुनाव में लगातार बीजेपी की जीत व आप पार्टी की हार से बीजेपी अपने आप को अपराजेय मानने लग गयी थी. भाजपा शहंशाह तो 2019 में 350 से भी ज्यादा सीटे जीतने का ख़्वाब भी देखने लग गए. भाजपा के शहंशाह तो अब मानने लग गए कि सामने विपक्ष नाममात्र का ही है, मैदान खाली, उनके इस अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को भारत में कोई रोकने वाला नहीं बचा है.
यह बात काफी हद तक सही भी, जिससे भाजपा के शहंशाह व कर्णधारों का अहंकार भी काफी हद तक बढ़ चुका है. लेकिन भाजपा के शहंशाह व कर्णधार शायद यह भूल गए कि 1977 में भी विपक्ष का यही हाल था और इंदिरा गांधी के सामने विपक्ष का हर नेता बहुत बोना था तथा चुनाव लड़ने के लिए विपक्ष के पास उम्मीदवार तक नहीं थे. लेकिन विपक्ष चाहे कितना भी कमजोर क्यों नहीं हुआ, कमजोर दिखने वाली जनता कतई कमजोर नहीं हुई और इंदिरा गांधी का बुरी तरह से पराभव हुआ.
इसलिए भाजपा के शहंशाह व कर्णधारों को इस बात का अहसास होना चाहिए कि अहंकार तो रामायण काल में भी रावण का भी नहीं टिका था व 1977 में इंदिरा गांधी का भी नहीं टिका था. आगे-आगे जनता ने दिल्ली व बिहार के विधान सभाओं में बीजेपी को सबक सिखाया और गोवा में भी (वो अलग बात है कि जोड़-तोड़ से सरकार बना ली गयी). जनता जनार्दन ने बवाना (दिल्ली) के उप-चुनाव में भी फिर साबित कर दिया कि विपक्ष कितना भी कमजोर क्यों नहीं हो, जनता कमजोर नहीं है.
इस बवाना (दिल्ली) के उप-चुनाव में बीजेपी के हार के कई कारण हो सकते है, सबकी अलग-अलग राय आयेगी. एक बहुत बड़ा कारण रहा है जिसकी तरफ किसी का (विपक्षियो का भी) ध्यान ही नहीं जा रहा है और वो है – जीएसटी . राजधानी क्षेत्र में व्यापारियों की बहुत बड़ी संख्या है, शिक्षा व जागृति भी है. जीएसटी को जिस दादागिरी से लागू किया गया है और जिस तरह से इसका क्रियान्वयन पीडादायक रहा है, जीएसटी से प्रभावित मतदाताओं ने बड़ी संख्या में अपनी नाराजगी वोट के जरिये जाहिर की है, जिससे बीजेपी को हार का मुह देखना पडा और जीएसटी की मेहरबानी से केजरीवाल के लाटरी खुल गयी.
बीजेपी तथा ओर भी कोई माने या नहीं माने, व्यापारी जीएसटी की रेट से नहीं, बल्कि इसकी प्रक्रिया व नीति से बहुत ज्यादा परेशान व दुखी है. यदि भाजपा के शहंशाह व कर्णधारों ने समय रहते जीएसटी को दुरस्त / ठीक नहीं किया तो गुजरात में भी बवाना (दिल्ली) के उप-चुनाव जेसा हाल हो सकता है. समय रहते बीजेपी के अहंकार युक्त अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े से नीचे उतर कर धरातल ठीक कर ले. भाजपा के शहंशाह व कर्णधारों को अपनी सोच को भी बदल ले कि जीएसटी से सिर्फ वोटो की दृष्टि से अल्पसंख्यक व्यापारी ही दुखी है बल्कि देश के व्यापार-वाणिज्य से जुड़ा प्रत्येक नागरिक-मतदाता जीएसटी से परेशान व दुखी है.