‘गाय का देशी घी’ या “देशी गाय का घी”
शुद्ध (Pure) देशी घी (Deshi Ghee) से तात्पर्य उस देशी घी से है जो गाय या भेस के दूध (दूध से बनाए मक्खन / दही / क्रीम सहित जिनका मूल स्रोत्र गाय या भेस का दूध है) से बनाया जाता है. लेकिन जो घी सिर्फ गाय के दूध (दूध से बनाए मक्खन / दही / क्रीम सहित जिनका मूल स्रोत्र सिर्फ गाय का दूध है) से बनाया जाता है, वो गाय का घी होता है. गाय के घी भी दो तरह के होते है – ‘गाय का देशी घी’ व “देशी गाय का घी”
भारत में पाई जाने वाली सभी गायो को दो भागो में बांटा जा सकता है और वो है – देशी गाय (भारतीय नस्ल की गाय) व विदेशी नस्ल की गाय. कई गो-भक्त तो विदेशी नस्ल की गाय को विदेशी नस्ल की भेंस तक कह देते है हालाकि विदेशी नस्ल की गाय के दूध में भारतीय नस्ल की गाय से भे कम फेट होता है लेकिन दूध भेंस से भी ज्यादा देती है.
आर्थिक रूप से विदेशी नस्ल की गाय को भारत में ज्यादा पसंद किया जाता है अत: दूध के व्यापार में संलग्न पशुपालक व डेरिया विदेशी नस्ल की गाय को ही ज्यादा पसंद करने लग गए है. लेकिन गुणों के आधार पर देशी गाय के दूध , मक्खन व घी को ज्यादा अच्छा माना जाता है जो कि अब दुर्लभ होता जा रहा है. अभी हाल ही रिसर्च में ‘गिर प्रजाति’ की स्वदेशी नस्ल के गाय के दूध में स्वर्ण (Gold)) की उपस्थिति पाई गई है. दिल के मरीजो के लिए भी स्वदेशी नस्ल की गाय के घी को अच्छा माना जाता है. फिर भी हकीकत अब यह है कि भारत में भी वाणिज्यिक रूप से ‘विदेशी नस्ल की गाय’ ‘स्वदेशी नस्ल के गाय’ पर भारी पड़ने लग गयी है.
यही कारण है कि बाबा रामदेव भी पातांजलि देशी घी को कभी भी देशी गाय का घी नहीं कहते है बल्कि वो भी अन्य कंपनियों की तरह सिर्फ ‘गाय का शुद्ध घी ‘ शब्दों का ही इस्तेमाल करते है. हालाकि पूरे पश्चिमी राजस्थान (बीकानेर से लेकर जालोर जिले तक) में अभी भी स्वदेशी नस्ल की गायो को ही बहुतायत से पाला जाता है. बीकानेर के रसगुल्लो में भी देशी गायो के दूध का ही उपयोग होता है. अत: यदि आपको ‘स्वदेशी नस्ल की गाय’ का दूध या घी मिल रहा है तो आप अपने आप को भाग्यशाली मान सकते है.
Mujhe deshi gay ka ghi chahiye khan se milega
Mobail no.
07017876427
09837030604
यदि आप के लिए संभव हो तो पथमेड़ा गौशाला (राजस्थान) का घी खरीदे. हाल्फिलाहाल सरस डेरी का गाय का घी भी राजस्थान में कही भी खरीद सकते है.