जीएसटी (GST) से कई Trade Mark / ब्रांड (Brand) की वैल्यू शून्य (ZERO) से भी कम हो गयी.
जीएसटी (GST) से कई Trade Mark / ब्रांड (Brand) की वैल्यू शून्य (ZERO) से भी कम हो गयी.
व्यापार-वाणिज्य (Trade & Commerce) में Trade Mark / ब्रांड का बहुत बड़ा महत्त्व है. कई Trade Mark / ब्रांड की कीमत करोड़ो-अरबो रूपयों की होती है. कई Trade Mark / ब्रांड ने अपने-अपने क्षेत्र में काफी बड़ा कब्जा कर रखा होता है. ऐसी जमी हुई Trade Mark / ब्रांड की अन्य व्यापारी-उद्यमी नक़ल भी करते है जिससे मुकदमे बाजी व कानूनी कार्यवाही तक होती है. यदि कोई मिलती-जुलती नई Trade Mark / ब्रांड रजिस्टर कराने की कोशिश करता है तो पहले स्थापित से Trade Mark / ब्रांड के मालिक नए व्यापारी-उद्यमी को वो Trade Mark / ब्रांड नहीं लेने देते है.
GST के कारण कई व्यापारी-उद्यमियों ने Trade Mark / ब्रांड रद्द करवा दिए : भारत के व्यापार-वाणिज्य में जीएसटी ने कई उलट-फेर कर दिए है और करेगी. उनमे से दिखता हुआ एक उलट-फेर बना स्थापित Trade Mark / ब्रांड. जीएसटी में कई आइटम की टैक्स रेट ब्रान्डेड (Branded) व अन-ब्रान्डेड (Unbranded) के लिए अलग-अलग है जिससे ब्रान्डेड आइटम (Branded Item)पर टैक्स रेट बहुत उच्ची (High Tax Rate) होने से उसे बेचना मुश्किल हो गया या मुनाफ़ा कम हो गया या उससे घाटा होने लग गया. ऐसी स्थिति से बचने के लिए कई मजबूर व्यापारी-उद्यमियों ने अपने-अपने कीमती Trade Mark / ब्रांड रद्द करवा दिए.
सरकार को होने लगा घाटा : ऐसे व्यापारी-उद्यमियों ने जुगत लगाईं और अपने-अपने Trade Mark / ब्रांड रद्द करवा कर, उसी माल को उसी ब्रांड नाम (जो रद्द करने के बाद अन-रजिस्टर्ड हो गया) के नाम से कम टैक्स रेट से माल बेचना शुरू कर दिया जिससे उपभोक्ताओं को तो फ़ायदा (Beneficial to Consumers) होने लगा लेकिन सरकार को बड़ा घाटा ( Loss to Government) होने लगा.
सरकार ने क़ानून बदल कर ऐसे रद्द Trade Mark / ब्रांड को रद्द मानने से किया मना : जब देश के अर्थमंत्री जी ( Finance Minister)को होश आया कि व्यापारी-उद्यमियों ने अपने-अपने Trade Mark / ब्रांड रद्द करवा कर, उसी माल को उसी ब्रांड नाम (जो रद्द करने के बाद अन-रजिस्टर्ड हो गया) के नाम से कम टैक्स रेट से माल बेचना शुरू कर दिया, तो 09.09.2017 की जीएसटी कौंसिल मीटिंग में निर्णय लेकर 15.05.2017 के बाद कैंसिल करवाए गए सभी Trade Mark / ब्रांड को कैंसिल नहीं माना जाएगा. जिससे कैंसिल करा देने के बाद भी उस व्यापारी को उच्ची रेट से टैक्स देना होगा.
ब्रांड वाले व्यापारी-उद्यमी न घर के रहे ना घाट के : 1 जुलाई से जीएसटी लागू हुआ, तब व्यापारी-उद्यमी को पता चला कि ब्रान्डेड माल पर अन-ब्रान्डेड के मुकाबले ज्यादा टैक्स रेट हो गयी है, तो कई व्यापारी-उद्यमी ने अपने-अपने Trade Mark / ब्रांड को कैंसिल करवा दिए. जिससे उसका Trade Mark / ब्रांड उसके हाथ से निकल गया लेकिन सरकार टैक्स के लिए उसे कैंसिल नहीं मान रही है, जिससे उसकी ब्रांड भी हाथ से चली गयी और टैक्स में भी कोई फ़ायदा नहीं रहा. ऐसे व्यापारी की हालत धोबी के कुत्ते जेसी हो गयी है.
Trade Mark / ब्रांड रद्द करवाना दुर्लभ घटना : जीएसटी से पहले ऐसा कभी सुनने-देखने को नहीं मिला कि कोई अपना Trade Mark / ब्रांड कैंसिल करवाता हो. ज्यादातर मामलों Trade Mark / ब्रांड बिक जाते है या किराए पर दिए जाते है क्योकि हर ब्रांड की अपनी मार्किट वैल्यू होती है. कई ब्रांड तो लाखो-करोड़ो में बिकते है. लेकिन जीएसटी ने यह एक दुर्लभ करिश्मा कर दिखाया और कई कीमती लेकिन छोटे-छोटे Trade Mark / ब्रांड शून्य ही नहीं बल्कि माइनस (-) वैल्यू वाले हो गए.
नकली ब्रांड पर भी असली Trade Mark / ब्रांड के बराबर टैक्स लगेगा : 09.09.2017 की जीएसटी कौंसिल मीटिंग (GST Council Meeting) में लिए गए निर्णय के अनुसार नकली ब्रांड पर भी असली Trade Mark / ब्रांड के बराबर टैक्स लगेगा. यदि कोई भी व्यापारी-उद्यमी किसी अन्य ब्रांड की नक़ल करके उस ब्रांड के नाम से माल बेचता है तो जीएसटी में उस नकली ब्रान्डेड माल को भी ब्रान्डेड ही माना जाएगा और वही उच्ची टैक्स रेट लगेगी.