दैनिक भास्कर व आई.टी.ओ. बोथरा को कोर्ट ने जारी किये नोटिस
दैनिक भास्कर व आई.टी.ओ. बोथरा को कोर्ट ने जारी किये नोटिस
देर से मिली जानकारी के अनुसार भारत के एक प्रमुख हिंदी दैनिक अखबार ‘ दैनिक भास्कर ’ ( Dainik Bhaskar) व आई.टी.ओ. ( आयकर अधिकारी – Income-tax Officer) राजेंद्र बोथरा (Rajendra Bothara) के विरूद्ध एक मान-हानि मामले में अतिरिक्त जिला जज, सुमेरपुर ( Additional District Judge, Sumerpur) के कोर्ट ने प्रार्थी कैलाश चंद्र मूंदड़ा (Kailash Chandra Moondra) की पुनिरीक्षण याचिका (अंतर्गत धारा 397 दण्ड प्रक्रिया संहिता) विचारार्थ स्वीकार कर दैनिक भास्कर के मालिको, संपादको व पत्रकारों तथा Rajendra Bothara (Income-tax Officer) को नोटिस जारी किये है.
उल्लेखनीय यह है प्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए के.सी. मूंदड़ा (CA. K.C.Moondra) ने सुमेरपुर के स्थानीय मुंसिफ कोर्ट (Munsif Court, Sumerpur) में दैनिक भास्कर के प्रबंध निदेशक सुधीर अग्रवाल (Managing Director Sudhir Agrawal), प्रकाशक व मुद्रक कमल कान्त शर्मा (Publisher & Printer Kamal Kant Sharma), सम्पादक (राजस्थान) ओम गौड़ (Editor Rajasthan OM Gaud), कार्यकारी सम्पादक मुकेश माथुर (Executive Editor Mukesh Mathur), स्पेशल कोरेस्पोंडेंट भंवर जांगिड (Special Correspondent Bhanwar Jangid) तथा राजेंद्र बोथरा पुत्र सी.डी. बोथरा के विरूद्ध एक परिवाद अन्तर्गत धारा 500, 501, 502 एवं 120 बी भा.द.सं. (IPC) पेश किया था . लेकिन कई महीनो के इन्तजार के बाद मुंसिफ कोर्ट, सुमेरपुर ने तकनीकी आधार पर परिवाद खारिज कर दिया था. इसी आदेश के खिलाफ सीए के.सी. मूंदड़ा द्वारा पुनिरीक्षण याचिका दायर की गयी जिसे अतिरिक्त जिला जज, सुमेरपुर ने विचारार्थ स्वीकार कर लिया.
इस प्रकरण के तथ्यों से ज्ञात होता है कि केकडी-अजमेर (Kekri – Ajmer) की एक कम्पनी की एक अपील आयकर ट्रिब्यूनल, जयपुर (Incometax Tribunal, Jaipur) में चल रही थी, उस अपील के फेसले को तोड-मरोड़कर झूठी खबर बनवा कर कैलाश चंद्र मूंदड़ा के विरूद्ध पाली (Pali) में छपवाई गयी . इस अपील के फेसले का कोई सम्बन्ध पाली जिले (Pali District) से नहीं था लेकिन मात्र कैलाश चंद्र मूंदड़ा व उनके सीए पुत्र की मानहानि करने की नियत से 95% तक झूठी खबर 01.06.2015 को दैनिक भास्कर के ‘पाली संस्करण’ (Pali Edition of Dainik Bhaskar) में प्रकाशित करवाई गयी थी. उक्त परिवाद के तथ्यों के अनुसार यह खबर राजेंद्र बोथरा के एक षड्यन्त्र ( Conspiracy) का परिणाम थी. राजेंद्र बोथरा एक बदनाम आयकर अधिकारी है जिसका कैलाश चंद्र मूंदड़ा के साथ छतीश का आंकड़ा जग जाहिर बात है. राजेंद्र बोथरा के गेर-कानूनी कृत्यों को कैलाश चंद्र मूंदड़ा ने ही उजागर किया था जिसके परिणाम स्वरुप उसके विरूद्ध कई उच्च स्तरीय जांचे (High Level Inquiries) चल रही है.
इस सम्बन्ध मेने सीए के.सी. मूंदड़ा से बातचीत की जिसके कुछ अंश यही नीचे प्रकाशित कर रहा हूँ –
मनीष मेवाडा : क्या आयकर ट्रिब्यूनल, जयपुर के उक्त फेसले की खबर जयपुर व अजमेर जिलो (Jaipur and Ajmer Districts) में प्रकाशित की गयी थी ?
के.सी. मूंदड़ा : आयकर ट्रिब्यूनल जयपुर की थी तथा लाखो रूपयों की अपील केकडी (जिला अजमेर) की एक कंपनी की थी. इसके बावजूद लाखो-करोड़ो की खबर जयपुर व अजमेर में नहीं छपवाई गयी बल्कि कुछ हजारो (रू. 25,000/-) की अविधिक खबर पाली जिले में छपवाई गयी क्योकि मेरा मुख्यालय पाली जिले में है तथा पाली जिले में बदनामी होने से ही मेरी प्रतिष्ठाको भारी नुकसान पहुचाया जा सकता था.
मनीष मेवाडा : आयकर ट्रिब्यूनल, जयपुर ने उक्त फेसले में आपके विरूद्ध रू. 25,000/- की कॉस्ट लगाई थी, इस सम्बन्ध में आपका क्या कहना है ?
के.सी. मूंदड़ा : यह सत्य है कि आयकर ट्रिब्यूनल, जयपुर ने मेरे विरूद्ध रू. 25,000/- की कॉस्ट लगाई थी, लेकिन लेकिन यह लेवी अविधिक व गेर-कानूनी है तथा सुप्रीम कोर्ट व बॉम्बे हाई कोर्ट के फेसलो की अवमानना मात्र है. इसी कारण आज दिन तक मेरे से वसूली भी नहीं हो सकी है.
मनीष मेवाडा : आखिर आयकर ट्रिब्यूनल, जयपुर ने इतनी बड़ी गलती क्यों और केसे की ?
के.सी. मूंदड़ा : सही बात तो यह है कि इस सारे मामले में एक बहुत बड़ा षडयंत्र हुआ था, उस षडयंत्र के कारण उस समय के आयकर ट्रिब्यूनल के दो सदस्यों ने मेरी भ्रष्टाचार के विरूद्ध चल रही लड़ाई के लिए मुझे सबक सिखाने के लिए यह सब कुछ किया गया था .
मनीष मेवाडा : क्या भास्कर में प्रकाशित खबर शत-प्रतिशत झूठी थी ?
के.सी. मूंदड़ा : यह खबर जेसी और जिस तरह से प्रकाशित की गयी थी, वह कम से कम 95% झूठी या बनावटी थी.
मनीष मेवाडा : आखिर आयकर ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नाराजगी मान भी ले तो फिर सुमेरपुर मुंसिफ कोर्ट ने आपका परिवाद क्यों खारिज कर दिया ?
के.सी. मूंदड़ा : कोर्ट ने तो पूरे केस के तथ्यों का संज्ञान ही नहीं लिया बल्कि मात्र तकनीकी आधार पर परिवाद खारिज कर अपनी साल भर से भी पुरानी एक पेंडेंसी को कम किया. कोर्ट ने यह मानते हुए परिवाद खारिज किया कि अखबार व पत्रकार किसी के खिलाफ कुछ भी लिख सकते है तथा उनको मानहानि के प्रावधानों से मुक्ति मिली हुई है. लेकिन मुझे यह फेसला गलत लगा इसलिए मेने पुनिरीक्षण याचिका दायर की.
मनीष मेवाडा : क्या खबर प्रकाशित करने से पूर्व देनिक भास्कर की तरफ से आपसे कोई स्पष्टीकरण लिया गया था ?
के.सी. मूंदड़ा : हाँ, भास्कर के भंवर जांगिड का फोन मेरे पास आया था, उसे सारे तथ्य बताये गए तथा उनके व्हात्सप कर क़ानून के प्रावधान / दस्तावेज तक भेजे गए लेकिन भास्कर के लोगो द्वारा मेरे स्पष्टीकरण को छिपा लिया गया तथा प्रकाशित ही नहीं किया.
मनीष मेवाडा : लेकिन इस खबर प्रकाशन में राजेंद्र बोथरा का क्या रोल है ?
के.सी. मूंदड़ा : ‘देनिक भास्कर’ के भंवर जांगिड ने ही फ़ोन पर बताया था कि राजेंद्र बोथरा मेरे खिलाफ फेसले की कॉपी लेकर आये है. मजे की बात यह भी है कि मामला जयपुर-अजमेर का था , जयपुर-अजमेर ‘भास्कर’ को कुछ मालूम नहीं, तो सिर्फ पाली भास्कर को कहा से पता चला. निश्चित ही यह राजेंद्र बोथरा के निजी स्तर पर किये गए षडयंत्र का ही परिणाम था.
मनीष मेवाडा : इस खबर प्रकाशन में राजेंद्र बोथरा ने बतौर आयकर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाई तो उसने क्या गलत किया ?
के.सी. मूंदड़ा : आप गलत सोच रहे है. जिस समय राजेंद्र बोथरा ने यह खबर छपवाई थी उस समय वो न तो मेरा आयकर अधिकारी था और दूर-दूर तक इस अपील से उसका कोई सम्बन्ध नहीं था बल्कि उस समय वो बीकानेर में पोस्टेड था, उसने बीकानेर से जोधपुर आकर यह बदनीयती पूर्ण खबर छपवाई थी. हकीकत में उसका यह कृत्य निजी स्तर पर था न कि बतौर आयकर अधिकारी.
Reporting by Manish Mewara.
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