नोटबंदी योजना के समर्थन में इनकम टैक्स नोटिस – चिंता की कोई बात नहीं
नोटबंदी योजना के समर्थन में इनकम टैक्स नोटिस – चिंता की कोई बात नहीं
इन दिनों एक इनकम टैक्स के एक-दो नोटिस व्हाट्स-अप पर वायरल हो रहे है जिससे सबकी चिंताए बढ़ गई है लेकिन चिंता की कोई बात ही नहीं है.
नोट बंदी योजाना से निजात पाने के लिए तरह-तरह की जुगत से कालेधन वाले पुराने नोटों को बदला जा रहा है. इन फर्जीवाड़ो में ट्रस्ट व चैरिटेबल संस्थाए भी हिस्सा बनने लग गयी है. फर्जीवाड़ो के विरूद्ध आयकर विभाग अब जागने लगा है. तथा अलग-अलग स्तरों पर कार्यवाहिया की जा रही है व नोटिस भी निकाले जा रहे है.
मै सबसे पहले अभी वायरल हो रहे दो नोटिस के प्रभाव व कानूनी पक्ष के बारे में आपको बताना चाहूँगा-
आयकर उप निदेशक (Mr. Norbu Bhutia), सिलीगुड़ी का नोटिस दिनांकित 18.11.16 : ऐसा लग रहा है कि इसे व्हाट्स-अप पर किसी आयकरकर्मी द्वारा डाला गया है. इस नोटिस पर लिखा मोबइल नंबर Mr. Norbu Bhutia का ही है व टेलीफोन नंबर भी उनके ऑफिस का ही है. यही नहीं Mr. Norbu Bhutia, 18.11.2016 को आयकर उप निदेशक, सिलीगुड़ी के पद पर कार्यरत थे. इस नोटिस की एक प्रति आप सभी पाठको की जानकारी के लिए यही नीचे प्रकाशित की जा रही है जिसमें आयकर अधिनियम की किसी भी धारा का जिक्र नहीं किया गया है. यह नोटिस उक्त अधिकारी का उतावलापन मात्र है तथा यह अविधिक व गेर-कानूनी है. जिसको भी ऐसे नोटिस मिले, उनको घबराने की जरूरत नहीं है. इस नोटिस की पालना नहीं होने पर कोई पेनल्टी नहीं लग सकती है.
मेरी सोच के अनुसार यह नोटिस असली हो सकता है और यदि नोटिस वाकई तेयार हुआ है तो अफसर की मंशा सही नहीं दिख रही है. अब तो यह नोटिस वायरल होने के बाद स्वयं अधिकारी भी इसे फर्जी बता सकता है (क्योकि यह नोटिस नियमानुसार नहीं है) यदि नोटिस पार्टी को डिलीवर नहीं किया गया हो. इस तरह से एक-एक डिपाजिट के लिए नोटिस देना जायज व इमानदार प्रयास भी नहीं है. इसके बावजूद, यदि किसी भी आयकर अथॉरिटी को जांच करनी है तो क़ानून में पर्याप्त प्रावधान है. अत: उचित यह होगा कि ऐसे सभी नोटिस आवश्यकता अनुसार आयकर अधिनियम के किसी प्रावधान के अंतर्गत ही दिए जाए. सीबीडीटी को भी चाहिए कि शुरुआत से ही ऐसी छोटी रकम में अपनी एनर्जी वेस्ट नहीं करे. अब तो यह नोटिस वायरल होने के बाद स्वयं अधिकारी भी ऐसे फर्जी कास सकता है याजी नोटिस पार्टी को डिलीवर नहीं किया गया हो.
सोशल मीडिया में इस नोटिस के असली या नकली होने की ज्यादा चर्चा है जो टाइम पास व मनोरंजन के लिए तो ठीक है लेकिन करदाता की असली चिंता यह होनी चाहिए कि क्या ऐसा नोटिस आ सकता है ? यदि हां, तो उसका क्या इफ़ेक्ट होगा? जहा तक जांच-पड़ताल की बात है वो तो अब होनी ही है लेकिन इस तरह से ऐसे नोटिस से नहीं होगी.
सहायक आयकर आयुक्त (छुट), जयपुर (Mr. M.M.Meena), का नोटिस : इस नोटिस एक प्रति आप सभी पाठको की जानकारी के लिए यही नीचे प्रकाशित की जा रही है. यह नोटिस आयकर अधिनियम की धारा 133(6) के अंतर्गत जारी किया गया है जो कि अच्छा प्रयास है तथा ट्रस्ट व धर्मार्थ संथाओ द्वारा किये जा रहे फर्जीवाड़ो को रोकने लिए देर से उठाया गया सही कदम है लेकिन यह नोटिस भी उक्त अधिकारी का उतावलापन मात्र है तथा यह अविधिक व गेर-कानूनी है.
एक सलाह – मेरी सभी ट्रस्ट व धर्मार्थ संथाओ को एक सलाह कि उनको वर्तमान में चल रहे फर्जीवाड़े में शामिल होकर सरकार के विरूद्ध ऐसा कोई फर्जी कृत्य नहीं करना चाहिए. कर-चोरी या मिलीभगत पकडे जाने पर संस्था को न केवल टैक्स व पेनल्टी का भारी नुकसान हो सकता है बल्कि उसका आयकर में पंजीयन (Registration) व 80 जी (80G) की छुट(Exemption) हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त हो सकती है. अत: सभी समाज-सेवको से निवेदन है कि कर-चोरी या मिलीभगत में संस्थाओं को शामिल नहीं करे.
सीए के.सी. मूंदड़ा