पूरे देश में तस्करी का धंधा कई गुना बढा लेकिन आइटम बदल गया.
पूरे देश में तस्करी का धंधा कई गुना बढा लेकिन आइटम बदल गया.
पूरे देश में बरसो बाद तस्करी के धंधे में तेजी आ गयी लेकिन आइटम बदल गया है. किसी जमाने में तस्करी कुछ राज्यों या क्षेत्रो तक सीमित थी लेकिन वर्तमान में चल रही तस्करी पूरे देश में एक ही गति से चल रही है जिसमें देश के कई नए तस्कर व आम नागरिक भी शामिल हो गए है.
‘तस्करी’ का मोटे तोर पर शाब्दिक अर्थ है किसी भी ऐसे आइटम का परिवहन करना जो कि प्रतिबंधित है या सरकारी नीति के विरूद्ध है. भारत में समय-समय पर अलग-अलग आइटम की तस्करी होती रही है तथा आज भी चल रही है. देश में प्रमुख रूप से निम्न आइटम की तस्करी होती रही है –
- सोना
- अफीम व ड्रग्स
- गोवंशव अन्य जानवर
- नकली करेंसी
- हथियार
- मानव तस्करी
- गेर-कानूनी रूप से आयातित कंज्यूमर गुड्स आदि.
अब तस्करी का नया आइटम है – ‘500 व 1000 रूपये के बंद नोट’ जिसकी बहुत बड़ी मात्रा में एक स्थान से दूसरे स्थान पर तस्करी हो रही है जिसमें आम आदमी भी शामिल हो गया है. 500 व 1000 रूपये के बंद नोट को बदलने व कालेधन को सफ़ेद करने लिए बहुत बड़े स्तर पर 500 व 1000 रूपये के बंद नोट की तस्करी की जा रही है.
कई पुराने बेरोजगार तस्करों के लिए लगता है, एक स्वर्णिम समय आ गया है क्योकि इस तस्करी में सजा बहुत बड़ी नहीं है. जिन लोगो में दो नंबर के 500 व 1000 रूपये के बंद नोट पड़े है उनको मजबूरी में ‘दो नंबर के 500 व 1000 रूपये के बंद नोट’ का परिवहन करना पड़ रहा है जो कि एक तरह की तस्करी ही है.
इससे पूर्व असली नोट / करेंसी की इस स्तर पर तस्करी कभी नहीं हुई बल्कि असली नोट / करेंसी को बिना परिवहन किये ही हवाला के जरिये भेजा जाता रहा है. हवाला का धंधा हाल फिलहाल मंदा है लेकिन छोटे स्तर पर नए नोटों व पुराने बंद नोटों का हवाला भी चालू हो चुका है क्योकि हवाला तस्करी से ज्यादा सुरक्षित है. 500 व 1000 रूपये के बंद नोट / करेंसी की तस्करी की खबरे अब रोज टीवी व अखबारों में सुनाने व पढ़ने को मिल रही है.