पेन कार्ड की ऑनलाइन सुविधाए बंद लेकिन आयकर विभाग द्वारा सुधार का दावा
पेन कार्ड की ऑनलाइन सुविधाए बंद लेकिन आयकर विभाग द्वारा सुधार का दावा
एक-दो दिन से TV पर सुना व अखबारों में पढ़ा जा रहा है कि अब पेन कार्ड बनाना बहुत ही सरल हो जाएगा. मात्र अंगूठा लगाकर आधार से लिंक होकर कुछ मिनटों में पेन नंबर मिल जाएगा. 1 जनवरी से पेन कार्ड के फीचर व भाषा में भी बदलाव किया गया है. पढ़ कर व सुनकर बड़ा अच्छा लग रहा है तथा उम्मीद करे कि ऐसा ही होगा. लेकिन हाल-फिलहाल बिलकुल उलटा हो रहा है.
अभी आयकर विभाग पेन कार्ड तो शुल्क लेकर देता था / है, साथ ही कुछ ऑनलाइन सेवाए बिलकुल निशुल्क ऑनलाइन मिल रही थी. इन निशुल्क ऑनलाइन पेन कार्ड संबंधी सेवाओं को आयकर विभाग द्वारा बंद कर दिया गया है. ऐसा लगता है कि सरकार एक एडवांस (अच्छा) कदम उठाती है और दो अच्छे कदम पीछे खींच लेती है.
कुछ समय पहले तक आयकर विभाग की वेबसाइट पर निम्न ऑनलाइन सेवाए बिलकुल निशुल्क ऑनलाइन मिल रही थी –
- Know Your PAN ( यानिकी ‘अपना पेन नंबर जानिये’ ),
- Know Your Jurisdictional Assessing Officer (यानिकी ‘अपने क्षेत्राधिकार वाले आयकर अधिकारी को जानिये).
Know Your PAN : इस ऑनलाइन सुविधा से कोई भी पेन कार्ड धारक पेन कार्ड खो जाने की स्थिति में तथा पेन कार्ड रीप्रिंट कराने के लिए अपना पेन नंबर ऑनलाइन पता कर सकता था.
Know Your Jurisdictional Assessing Officer : इस ऑनलाइन सुविधा से कोई भी पेन कार्ड धारक अपने आयकर अधिकारी व उसके पत्ते को जान सकता था. क्योकि पेन कार्ड पर यह तथ्य अंकित ही नहीं होता. समय-समय पर कर-दाता के आयकर अधिकारी संबंधी क्षेत्राधिकार बदलता रहता है, जिसको एक करदाता इस सुविधा से जान सकता था.
लेकिन अब ये दोनों ऑनलाइन सुविधाए अब आयकर विभाग द्वारा चुपचाप बंद कर दी गयी है जिससे कई पेन नंबर / पेन कार्ड धारको के लिए समस्याए पैदा हो गयी है. विभाग / सरकार द्वारा भविष्य में क्या होने वाला है उसके एडवांस में ही पब्लिसिटी की जाती है जबकि चालू सेवाओं को गुपचुप में बिना प्रचार / स्पष्टीकरण के ही बंद कर दिया जाता है. ऐसा करना कर-दाता / पेन कार्ड धारको के हितो के विपरीत है. अब यदि आधार कार्ड की ऑनलाइन सेवाओं से तुलना करे तो आधार कार्ड पेन कार्ड के मुकाबले काफी आगे निकल गया है.
अत: आयकर विभाग / भारत सरकार से निवेदन है कि पेन कार्ड की उपरोक्त दोनों ऑनलाइन सेवाओं को तत्काल पुन: बहाल किया जाए.
लेखक : कैलाश चंद्रा उर्फ़ कैलाश मूंदड़ा