मोदीजी व भाजपा का इसमे कोई दोष नहीं है क्योकि उन्हें पहले समझ में ही नहीं आया.
मोदी जी व भाजपा का इसमे कोई दोष नहीं है क्योकि उन्हें पहले समझ में ही नहीं आया.
आजकल सोशल मीडिया में बीजेपी व कांग्रेस नेताओं के बाबाओ के साथ रहे सम्बन्ध व नजदीकिया चर्चा में. कई देश भक्तो द्वारा इन संबंधो का बचाव करने के लिए स्पष्टीकरण दिए जा रहे है. उन स्पष्टीकरणों में से कुछ स्पष्टीकरणों को यही नीचे कविता स्वरुप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है.
मोदीजी व बीजेपी नेता बापू आशाराम का आशीर्वाद लेते थे, वो पुरानी बात है और कई कांग्रेसी भी उनसे आशीर्वाद लेते थे * लेकिन मोदीजी को पहले समझ में नहीं आया कि आशाराम दुराचारी थे, मोदी जी की इसमे कोई गलती नहीं है क्योकि उनका मानना था कि वो संत व सदाचारी थे **
बीजेपी व मोदीजी डेरा सच्चा सौदा को भी वंदन करते थे, वो भी पुरानी बात है और कई कांग्रेसी भी उनके दरबार में जाते थे * लेकिन मोदीजी व बीजेपी को पहले समझ में नहीं आया कि बाबा राम रहीम दुराचारी व हत्यारा था बल्कि वो तो उसे संत व महात्मा ही समझते थे क्योकि वो तो विकास पुरूष व गरीबो का सहारा था **
मोदीजी के राज में निर्मल बाबा अभी भी भोले-भाले व हालात से दुखी लोगो को ठग रहे है, यह भी आज की बात नहीं है, वो तो कांग्रेस के समय से यही कर रहे है * बीजेपी को अभी तक समझ में नहीं आया है कि निर्मल बाबा भी एक ठग है, बल्कि बीजेपी मानने को तेयार नहीं है क्योकि अभी तक कोर्ट ने नहीं कहा कि वह ठग है **
स्वयं अर्थ-शास्त्री मोदीजी ने जोश और होश में नोटबंदी की घोषणा की थी, 50 दिन में हालात ठीक नहीं होने पर किसी भी भी चोराहे पर सजा भुगतने की बाते भी कही थी * यह भी बात अब पुरानी हो गयी है, कि नोटबंदी की टेस्टिंग फ़ैल होकर नोटबदली हो जायेगी, मोदीजी को पहले समझ में नहीं आया, क्योकि मोदीजी कोई अर्थ-शास्त्री थोड़े ही है कि उन्हें पता होता कि नोटबंदी फ़ैल हो जायेगी **
मोदीजी के सानिध्य में जोश और होश में जेटली जी ने जीएसटी लागू कर दी, लेकिन जीएसटी ने देश की पूरी अर्थ व्यवस्था को ही चोपट कर दी * लेकिन उनको पहले समझ में नहीं आया क्योकि वो कोई टैक्स व आई.टी. एक्सपर्ट थोड़े ही है, फिर भी उन्हें विश्वास है कि उनके पास पेट्रोल व डीजल है जिससे जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था का भट्टा अभी तक पूरा बेठा थोड़े ही है **
बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय* घमंड ड्योढ़-होशियारी से करे, बंटाधार हो जाय**
लेखक : सीए के सी मूंदड़ा / Kailash Chandra