बजट में आयकर पेनल्टी व अन्य गंभीर प्रावधान (भाग-6)
बजट में आयकर पेनल्टी व अन्य गंभीर प्रावधान (भाग-6)
‘न्यूज़ क्लब’ के माध्यम से मैने बीड़ा उठाया है कि सरल भाषा में संक्षिप्त रूप से भारत सरकार के वितीय बजट – 2017 के आम करदाता से जुड़े आयकर प्रावधानो को सभी पाठको के लिए प्रस्तुत किया जाए. इस श्रंखला में अभीतक कुल 5 भाग क्रमश: प्रकाशित हो चुके है. आज विशेष रूप से बजट में ” बजट में आयकर पेनल्टी व अन्य गंभीर प्रावधान ” का विशेष जिक्र करेंगे. साथ ही बिज़नस से आय व अन्य सभी तरह की आयो से सम्बंधित प्रावधानों के लिए सम्बंधित लिंक पर क्लिक करके पूर्व प्रकाशित कुछ अन्य प्रावधान भी पढ़ सकेंगे.
परिवृतित व नए प्रावधान काफी ज्यादा है, अत: सरलता से समझने व पढ़ने के लिए के लिए सभी प्रावधानों को निम्न कुछ बिन्दुओ में बांटा गया था जिनको बारी बारी से सभी पाठक पढ़ सकेंगे –
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- वेतन से आय सम्बंधित प्रावधान (यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते है)
- हाउस प्रॉपर्टी आय से आय सम्बंधित प्रावधान (यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते है)
- बिज़नस इनकम से सम्बंधित प्रावधान (यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते है)
- कैपिटल गेन्स आय से सम्बंधित प्रावधान (यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते है)
- अन्य स्रोतों से आय सम्बंधित प्रावधान (यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते है)
- इनकम टैक्स रेट्स व साधारण छूटो से से सम्बंधित प्रावधान (यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते है)
- पेनल्टी व अन्य गंभीर प्रावधान (यही नीचे पढ़े)
कंपनियो, विदेशियों व कई कई मामलों का विवेचन यहां नहीं किया जा रहा है क्योकि उनमे आम करदाता के काम की बात नहीं है. लेखो की श्रंखला के इस भाग में आज आयकर पेनल्टी व अन्य गंभीर प्रावधान , पर विस्तृत तुलनात्मक चर्चा करेंगे. वेतन से आय सम्बंधित प्रावधान, इनकम टैक्स रेट्स व साधारण छूटो से सम्बंधित प्रावधान व पेनल्टी व अन्य गंभीर प्रावधान ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है –
पेनल्टी व अन्य गंभीर प्रावधान
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धारा वर्तमान प्रावधान नया प्रावधान 132 नए प्रावधान (क) अब किसी भी व्यक्ति के यहाँ सर्च करने से पहले रिकॉर्ड किये जाने वाले विश्वास के कारणों को हाई कोर्ट से नीचे तक किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं रहेगी. यह प्रावधान भूतलक्षी प्रभाव से 1 अप्रैल 1962 से प्रभावी रहेगा.
(ख) अब किसी भी व्यक्ति के यहाँ सर्च करने से पहले शंका के कारणों को हाई कोर्ट से नीचे तक किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं रहेगी. यह प्रावधान भूतलक्षी प्रभाव से 1 अक्टूबर 1975 से प्रभावी रहेगा.
(ग) सर्च केस में अब अधिकृत अधिकारी उच्च अधिकारियों की इजाजत से राजस्व हित में किसी भी सम्पति को अधिकतम 6 महीने के लिए अस्थाइ तोर पर कुर्क कर सकेंगे.
(घ) सर्च केस में अब अधिकृत अधिकारी किसी भी स्थाई सम्पति को धारा 142A के प्रावधानों के तहत वैल्यूएशन के लिए वैल्यूएशन ऑफिसर रेफ़र कर सकेंगे जिसे 60 दिन के अन्दर-अन्दर वैल्यूएशन रिपोर्ट देनी होगी.
(ङ) आदि.
132A नया प्रावधान अब किसी भी व्यक्ति के यहाँ से कोई भी दस्तावेज, बहुमूल्य ज्वेलरी व नकदी आदि को अन्य किसी विभाग से रिकवीजिसन (मंगाने) से पहले दर्ज किये जाने वाले कारणों को हाई कोर्ट से नीचे तक किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं रहेगी. यह प्रावधान भूतलक्षी प्रभाव से 1 अक्टूबर 1975 से प्रभावी रहेगा.
133(6) किसी भी लंबित केस में जांच के लिए दस्तावेज आदि मंगवाने का अधिकार. अब यह अधिकार Joint Director, Deputy Director or Assistant Director को भी होगा जो कि किसी लंबित केस के अभाव में भी नोटिस दे सकेंगे. 133A अभी तक सर्वे की कार्यवाही व्यापारिक स्थल पर ही होती थी. अब सर्वे की कार्यवाही धर्मार्थ संस्थानों (स्कूल, कॉलेज आदि) के विरूद्ध भी हो सकेगी. 139(4C) any person referred to in clause (23AAA), Investor Protection Fund referred to in clause (23EC) or clause (23ED), Core Settlement Guarantee Fund referred to in clause (23EE) and Board or Authority referred to in clause (29A) of section 10 को भी अब आयकर रिटर्न भरना होगा. 139(5) कोई भी करदाता कर-निर्धारण वर्ष की समाप्ति से एक वर्ष के अन्दर-अन्दर अपने आयकर रिटर्न में भूल क सुधार कर सकता है. अब कोई भी करदाता कर-निर्धारण वर्ष की समाप्ति से पहले पहले ही अपने आयकर रिटर्न में भूल सुधार कर सकेगा. अन्य प्रावधान यथावत है. 140A स्व: कर-निर्धारण में tax के साथ-साथ / tax से पहले देय ब्याज भी जमा करना होता है. स्व: कर-निर्धारण में tax व ब्याज के साथ-साथ देरी से रिटर्न जमा करने की देय फीस भी जमा करानी होगी. 153 कर-निर्धारण की समय सीमा – *धारा 143 / 144 : 21 महीने
*धारा 147 : 9 महीने
*धारा 254/263/264 : 9 महीने
कर-निर्धारण की समय सीमा – *धारा 143 / 144 : मात्र 12 महीने
*धारा 147 : 12 महीने
*धारा 254/263/264 : 12 महीने
153A सर्च मामलों में अभी तक चालू वर्ष के साथ-साथ पिछले कुल वर्ष 6 का कर-निर्धारण होता था. अब यदि किसी केस में 50 लाख से ज्यादा की छिपी हुई आय / सम्पति पुराने वर्षो की उजागर होती है तो अधिकतम पिछले 10 वर्ष तक के केस पुन: खोले जा सकेंगे. यानी की अब इसे मामलों में कुल 11 वर्ष का कर-निर्धारण किया जा सकता है. 153B सर्च मामलों में कर-निर्धारण की समय सीमा : 21 महीने *सर्च मामलों में कर-निर्धारण की समय सीमा वितीय वर्ष 2018–19 तक : 18 महीने
*सर्च मामलों में कर-निर्धारण की समय सीमा वितीय वर्ष 2018–19 के बाद : 12 महीने
153B सर्च से सम्बंधित रिकावीजिसन के मामलों (153C) में कर-निर्धारण की समय सीमा : 9 महीने सर्च से सम्बंधित रिकावीजिसन (153C) के मामलों में कर-निर्धारण की समय सीमा : 9 महीने 194IB नया प्रावधान यदि कोई भी व्यक्ति (Individual) या HUF किसी भी व्यक्ति को रू. 50,000/- मासिक किराये से ज्यादा भुगतान करता है तो ऐसे प्रत्येक व्यक्ति (Individual) या HUF को 5% दर से TDS की कटोती कर TDS जमा कराना होगा. 194IC नया प्रावधान यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को किसी प्रॉपर्टी से बेचान से सम्बंधित किसी अग्रीमेंट के लिए किसी भी राशि का भुगतान करता है तो उस राशि पर 10% की दर से TDS की कटोती TDS जमा कराना होगा. कोई न्यूनतम सीमा नहीं रखी गयी है. 194J वर्तमान में किसी भी professional फीस के 30,000/- से ज्यादा भुगतान पर 10% की दर से TDS की कटोती करनी होती है. अब किसी कॉल सेंटर को professional फीस के 30,000/- से ज्यादा भुगतान पर मात्र 2% की दर से TDS की कटोती करनी होगी लेकिन बाकी सब पर 10% की रेट यथावत रहेगी. 197A ब्याज सहित कुछ मामलों में फॉर्म 15G / 15H देने पर 10% की दर से होने वाली TDS की कटोती से छूट मिलती थी. अब यह छूट ‘बीमा कमीशन’ (194D) पर भी मिलेगी. अब insurance agent भी डिक्लेरेशन दे सकेंगे. 206C TCS – अभी तक 5.00 लाख से ज्यादा की जेवेल्लरी रोकड़ से खरीदने पर 1% की दर से TCS करना होता था. अब जेवेल्लरी खरीदने पर 1% की दर से TCS को समाप्त कर दिया गया है तथा उसके स्थान पर 3.00 लाख से ज्यादा की जेवेल्लरी रोकड़ से खरीदने पर 100% पेनल्टी का प्रावधान किया गया है. 206CC नया प्रावधान TCS – यदि जिससे TCS होना है , वह व्यक्ति अपना सही PAN नहीं देता है तो दोगुनी रेट या 5% (जो भी ज्यादा हो) की दर से TCS करना होगा. यह प्रावधान विदेशियों पर लागू नहीं होगा. 234F & 271F नया प्रावधान Late Fee : यदि आयकर रिटर्न समय भी नहीं भरा गया तो वर्त्तमान पेनल्टी के स्थान पर निम्न दर से Late Fee जमा करानी होगी – *यदि रिटर्न देय तिथि के बाद लेकिन 31 दिसम्बर से पहले भरा जाता है – रू. 5,000/-.
*यदि रिटर्न 31 दिसम्बर के बाद भरा जाता है – रू. 10,000/-.
लेकिन यदि कर योग्य आय रू. 5.00 लाख से कम है तो अधिकतम फीस रू. 1,000/- ही होगी.
241A नया प्रावधान यदि किसी करदाता का आयकर की धारा 143(1) में रिफंड बनता है तो राजस्व हित में कर-निर्धारण अधिकारी उच्च अधिकारियों की इजाजत से कर-निर्धारण होते तक रिफंड रोक सकेगा. 269ST & 271DA
नया प्रावधान कोई भी व्यक्ति किसी एक सोदे के पेटे एक दिन में 3.00 लाख या ज्यादा का भुगतान नकदी स्वीकार नहीं कर सकेगा. बिना किसी पर्याप्त कारण के क़ानून के उल्लंघन पर 100% प्रतिशत पेनल्टी लगेगी जो की जॉइंट कमिश्नर द्वारा लगाईं जायेगी. इस प्रावधान से सरकारी विभाग / बैंक आदि के साथ व्यवहार व वास्तविक काश्तकार की कृषि आय के भुगतान आदि पर लागू नहीं होगा.
271J नया प्रावधान किसी भी सीए, , “merchant banker” and “registered valuer” द्वारा आयकर विभाग में बिना किसी पर्याप्त कारण के असत्य रिपोर्ट या सर्टिफिकेट देने पर रू. 10,000/- पेनल्टी लगेगी.
लेखक : सीए के.सी.मूंदड़ा (CA K. C. Moondra)
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