International Women’s Day – महिला / नारी दिवस पर संजय उवाच
नारी और वृक्ष एक से होते हैं,
खुश हों तो दोनों फूलों से सजते हैं…..!
दोनों ही बढ़ते और छंटते हैं,
इनकी छांव में कितने लोग पलते हैं…..!
देना देना ही इनकी नियति है,
औरों की झोली भरना दोनों की प्रकृति है…..!
धूप और वर्षा सहने की पेड़ की शक्ति है,
दुःख पाकर भी सह लेना नारी ही कर सकती है…..!!
नारी और पेड़ में एक अबूझ रिश्ता है,
जो दोस्ती से मिलता जुलता है….!
पेड़ चाहता है कुछ पानी कुछ खाद,
नारी चाहती है सिर्फ प्यार और सम्मान……!!
?अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
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