Friday, September 20, 2019

अविश्वसनीय सरकार के ‘एक देश – एक टैक्स’ वाली जीएसटी का ई-वेबिल सिर्फ 13 राज्यों में ही क्यों ?  

अविश्वसनीय सरकार के एक देश – एक टैक्स वाली जीएसटी का ई-वेबिल सिर्फ 13 राज्यों में ही क्यों ? 

आज की केंद्र सरकार ने ‘मनमोहन जीएसटी’ को ‘राष्ट्रवादी जीएसटी’ के रूप में लागू करा दिया. इसे राष्ट्रवादी करार देने के लिए नारा दिया गया ‘एक देश – एक टैक्स’. लेकिन देश में हालात यह कि इस ‘राष्ट्रवादी जीएसटी’ का एक प्रावधान  ई-वेबिल देश के मात्र 13 राज्यों में ही लागू हुआ है. ऐसे ‘राष्ट्रवादी जीएसटी’ को ही केंद्र सरकार ‘एक देश – एक टैक्स’ (One Nation – One Tax ) का नाम दे रही है. 

अभी तक साधारणतया देश में जब भी कोई केन्द्रीय क़ानून बनता है, वो ‘जम्मू-कश्मीर’ को छोड़कर पूरे भारत में लागू होता है यानिकी ‘जम्मू-कश्मीर’ अपवाद के रूप में माना जाता है लेकिन वर्तमान सरकार के राज में ‘राष्ट्रवादी जीएसटी’ के ई-वेबिल प्रावधान ने तो कई राज्यों को ‘जम्मू-कश्मीर’ के बराबर खडा कर दिया है क्योकि केंद्र सरकार अभी तक मात्र 13 राज्यों में ई-वेबिल प्रावधान लागू करा सकी है. 

सरकार अविश्वसनीय साबित हुई : जब ‘राष्ट्रवादी जीएसटी’ लागू किया था तब ई-वेबिल प्रावधान भी लागू किया गया था  लेकिन ‘राष्ट्रवादी जीएसटी’ की अव्यवस्था व पतली हालत समझ में आते ही इस प्रावधान को रूकवा दिया और उसे लंबित करवा दिया. बीच में समय आया जब केंद्र सरकार ने गुजरात के मतदाताओं की नाराजगी कम करने के लिए ई-वेबिल प्रावधान को 1 अप्रैल, 2018 तक के लिए लंबित करवा दिया. लेकिन ज्योही गुजरात के चुनाव संपन्न हुए राजस्थान जेसे बीजेपी शासित राज्यों ने  ई-वेबिल प्रावधान तत्काल (1 अप्रैल, 2018 से पहले ही) लागू कर दिए. उसके बाद केंद्र सरकार ने भी पलटी खाई और इसे 1 फरवरी 2018 से लागू करने की घोषणा कर दी लेकिन लागू मात्र 13 राज्यों में ही करवा सकी. 

देश में जो अब जो माहोल बना है, उससे देश की जनता और खासतोर पर व्यापारी वर्ग को विश्वास होने लगा है कि मोदी सरकार की कोई भी नीति या घोषणा विश्वास करने लायक ही नहीं है. देश में पहली बार अपनी ही सरकार के विरूद्ध अविश्वसनीयता का माहोल बना है जो देश के भविष्य के लिए भारी नुकसान देय है.  

ई-वेबिल (E-waybill) प्रावधान लागू करने वाले राज्यों के व्यापारियों पर दोहरी मार : सीधा राजस्थान और मोदी जी के गुजरात को ले लीजिये. राजस्थान में  ई-वेबिल लागू कर दिया है जबकि गुजरात में अभी तक लागू नहीं किया गया. राजस्थान में 50,000/- से अधिक के बिक्री बिल पर विक्रेता को ई-वेबिल इन्टरनेट पर अपलोड करना होता है. पहले इसे सिर्फ अंतर्राजीय बिक्री पर ही लागू किया था लेकिन अब राजस्थान के अन्दर भी लागू कर दिया जबकि गुजरात इस प्रावधान से मुक्त है. 

चूकि गुजरात का व्यापारी ई-वेबिल प्रावधान से मुक्त है, अत: राजस्थान के खरीददार व्यापारी को अपनी गुजरात से खरीद पर भी ई-वेबिल अपलोड करना है. यानिकी राजस्थान के व्यापारी की खरीद व बिक्री दोनों पर ई-वेबिल लागू है और  गुजरात के व्यापारी का ई-वेबिल भी राजस्थान के व्यापारी को भरना पडेगा. सरकार की राजनीति से प्रभावित ठुलमुल नीति के कारण एक राज्य के व्यापारियों के पक्ष में पक्षपात किया जा रहा है जबकि दूसरे राज्य के व्यापारियों के खिलाफ दोहरी मार मारी जा रही है जो संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का खुल्ला उल्लंधन है. 

देश हित को छोड़ सिर्फ वोटो की राजनीति या वर्चस्व के लिए किसी भी कार्यवाही का एसा ही हाल होता है : इकनोमिक टाइम्स के अनुसार ई-वेबिल प्रावधान हाल-फिलहाल स्वेच्छिक व ट्रायल मोड में रहेगा और पूर्ण रूप से 1 जून से लागू किया जाएगा तब तक कर्नाटक सहित 4 राज्यों के विधान-सभा चुनाव पूरे हो जायेंगे. स्पष्ट है सताधारी पार्टियों की  नजर चुनाव पर ज्यादा और व्यवस्था पर कम. इसलिए इस देश के राष्ट्रवाद की चिंता किसी को नहीं है, चिंता है तो सिर्फ वोटो व कुर्सी की. 

जीएसटी के वर्त्तमान स्वरुप का विरोध कर रही है ‘नया भारत पार्टी’ : पूरे देश में जेसे-तेसे जीएसटी को पूर्ण रूप से लागू करवाने के प्रयास हो रहे है, ठीक ऐसे वक्त देश में ‘नया भारत पार्टी’ एक मात्र ऐसी पार्टी जो जीएसटी का गंभीरता से विरोध कर रही है. ‘नया भारत पार्टी’ (Naya Bharat Party) का दावा है कि सरकार के राजस्व को बिना नुकसान पहुचाये कम से कम 80% व्यापारियों को जीएसटी (Minimum 80% Traders Free From GST)को पूर्ण रूप से मुक्त किया जा सकता है. इस पार्टी का अध्यक्ष स्वयं एक वरिष्ठ सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) है.

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