कर्नाटक मंत्री पर आयकर की राइफलधारी रेड – क्या देश अघोषितआपातकाल की तरफ बढ़ रहा – एक अशुभ संकेत ?
कर्नाटक मंत्री पर आयकर की राइफलधारी रेड – क्या देश अघोषितआपातकाल की तरफ बढ़ रहा – एक अशुभ संकेत ?
पिछले दो दिनों से ही सारे मीडिया चेनल्स पर कर्नाटक के एक मंत्री के विरूद्ध आयकर की राइफलधारी रेड का मामला छाया रहा. अलबता कल खबर की धार काफी कुंद हो गयी. मामले की गंभीरता इस बात पर थी कि जिस रिसोर्ट पर कार्यवाई की गयी वो रिसोर्ट कर्नाटक के एक मंत्री का है जिसमे गुजरात के विधायक डेरा डाले बेठे है ताकि राज्य सभा के चुनावों में कांग्रेस को तोड़फोड़ से बचाया जा सके.
सभी कांग्रेस विरोधी व खासकर बीजेपी समर्थक इसलिए खुश है कि कांग्रेस को नुकसान पहुचाया जा सकता है. देश का गरीब आदमी व आम आदमी भी इसलिए खुश है कि किसी मालदार नेता को पकड़ा गया. लेकिन ऐसे किसी भी समर्थक की सोच बहुत ही संकीर्ण है. यदि आयकर की रेड 7-8 दिन पहले या बाद में होती तो कालेधन को पकड़ने की स्थिति में क्या फर्क पड़ जाता लेकिन मात्र राजनीति स्वार्थ के लिए राइफलधारी CRPF के जवानो के साए में विशिष्ट परिस्थितियों में आयकर की रेड करना या करवाना देश के प्रजातंत्र के लिए चिंता का विषय है. पूरे देश के सभी आयकरदाताओं ने भी देखा कि इनकम-टैक्स वाले पुलिस से भी ज्यादा ताकतवर व राइफलधारी है. इस मामले की वित मंत्री द्वारा समर्थन के बाद अब शायद ही कोई आयकर सर्च / सर्वे बिना पुलिस की उपस्थिति के होंगे.
मेने एक छात्र के रूप में आपातकाल को देखा व समझा है. उस समय हरेक को एक ही डर था कि सरकार के विरूद्ध बोलना, मतलब हवालात. जिस तरह से आपातकाल में पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की अगुवाई में राजनीतिक नेताओं, आरएसएस के स्वयं सेवको व अन्य जागरूक नागरिको का दमन किया गया उससे भी आम आदमी को कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन 1977 के चुनाव में जनता ने बता दिया था कि किसी के भी साथ एक सीमा से ज्यादा अन्याय ठीक नहीं था.
आज जो हालात दिख रहे है, वो एक तरह से अघोषित आपातकाल जेसे है जिसे मॉडर्न आपातकाल भी कहा जा सकता है. आज भी भाजपा सरकार के विरूद्ध लिखने व बोलने वाले अखबार व न्यूज़ चेनल्स को सरकारी विज्ञापन बंद कर दिए गए है. विपक्ष के नेताओं को जेसे तेसे भाजपा में लाकर विपक्ष को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है. विपक्ष का केसा भी नेता बीजेपी को स्वीकार्य है. जेसे जिओ सभी मोबाइल कंपनियो को दिवालिया करने पर तुली है वेसे ही बीजेपी, बीजेपी को कोंग्रेसमय बनाकर विपक्ष को समाप्त करने में जुटी है.
वेसे राजनीति में हरेक राजनीतिक दल का यह टारगेट रहता है कि जेसे तेसे सता पर काबिज होया जाए लेकिन पहले नीति-असुलो की बात होती थी, अब तो सब कुछ चलता है. लेकिन जिस तरह से यह सब कुछ हो रहा है, इससे व्यापार जगत में भी एक दशहत है जिससे आगे आने वाले समय में एक अदना सा इंस्पेक्टर किसी भी व्यापारी को धमाका सकेगा या नहीं, लेकिन सताधारी छुट-भैया नेता तो किसी को भी धमाका सकेगा ही. लगता है मोदीजी ने पूरे विश्व पर राज करने के लिए अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा छोड़ दिया है, जो भी रास्ते में आयेगा, उसको रसातल में जाना ही होगा. जो भी भी हालात अब दिखने लगे है, अब देश के लिए अशुभ संकेत है.
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