भारत 80% तक जीएसटी मुक्त (Free From GST ) हो सकता है.
भारत 80% तक जीएसटी मुक्त ( Free From GST ) हो सकता है.
मेने स्वयं ने 1989 में एक आर्टिकल लिखा था जिसे कई राष्ट्रीय अखबारों ने प्रकाशित किया था. उस आर्टिकल का शीर्षक था – “आदर्श बिक्रीकर क़ानून”. उस समय मेरा दावा था कि सरकार चाहे तो 90% तक व्यापारियों को बिक्रीकर (Sales-tax) से मुक्त कर सकती है. लेकिन सरकार ऐसा कभी नहीं करेगी क्योकि व्यापारी जेसी दुधारू गाय को कोई राजनेता आजादी नहीं देना चाहता. उस समय वह लेख बहुत चर्चा में रहा लेकिन अखबारों की पहुच आज के सोशल मीडिया के मुकाबले बहुत कम थी
लेकिन बाद में कुछ राज्यों में अप्रैल, 2005 से तथा कुछ राज्यों में अप्रैल, 2006 बिक्रीकर (Salestax) के स्थान पर वैट (Value Added Tax – VAT) आ गया. उसके बाद पिछले कुछ वर्षो में सर्विस टैक्स (Service Tax) आ गया. अब जीएसटी (GST) आ चुका है तथा अब जीएसटी में वैट, एक्साइज (Excise) व सर्विस टैक्स तीनो शामिल हो चुके है. लेकिन अब भी मेरा मानना है कि सरकारी राजस्व ( Government Revenue) को बिना नुकसान पहुचाये व बिना कोई कमी किये कि सरकार 80% तक व्यापारियों को जीएसटी (GST) से मुक्त कर सकती है.
चाणक्य सहित कई प्रतिष्ठित अर्थ शास्त्रियों ने प्रतिपादित कर दुनिया को बताया कि अच्छा टैक्स वो होता है जो कम से कम लोगो से ही अधिक से अधिक मात्रा में वसूल किया जा सके जिससे कर-चोरी व भ्रष्टाचार दोनों रूकते है.
लेकिन आजकल की सरकारे ठीक इस सिद्धांत से विपरीत सिद्धांत पर काम करती है. आजकल की सरकारे मानती है कि टैक्स भले ही कम मिले लेकिन अधिकाँश व्यापारी उसके जाल में आ जाने चाहिए. आज का जीएसटी इसका जीता जागता उदाहरण है, जिसमे सिर्फ करदाताओ की संख्या बढ़ाना भी एक प्रमुख उद्देश्य लगता है.
ऊपर जो लिखा गया है, वह सुनने व पढ़ने में बड़ा अच्छा लगता है लेकिन व्यापारी को दुधारू गाय समझने वाले नेता ऐसा कभी नहीं होने देंगे. व्यापारी के harassment से नेताओ को न केवल आनंद आता है बल्कि व्यापारी से इर्ष्या रखने वाले समूहों को खुश करके राजनीतिक फ़ायदा भी उठाते है. व्यापारी को चोर कह कर अच्छे खासे वोट लिए जा सकते है, इसी गणित से नेता लोग काम करते है.
लेकिन समय बदल रहा है और ऐसी सोच रखने वाले नेता देश का बड़ा नुकसान कर रहे है. जीएसटी के विरोध में इतने आन्दोलन हुए लेकिन सभी कुचल दिए गए क्योकि व्यापारी के पास न तो बाहुबल है और न ही राजनीतिक ताकत. लेकिन देश की नई पीढी अब करवट ले रही है और हर कोई सरकारी अत्याचार से मुक्ति चाहता है. अत: आने वाले समय में देश में मांग उठेगी कि देश को आयकर के साथ-साथ जीएसटी से भी आजादी मिलनी चाहिए.
- सीए के.सी.मूंदड़ा / Kailash Chandra