आयकर व पुलिस की नजर में डायरी में एंट्री का क्या मतलब हो सकता है ?
आयकर व पुलिस की नजर में डायरी में एंट्री का क्या मतलब हो सकता है ?
एक बार फिर डायरी चर्चा में है. डायरी से भी ज्यादा वो लोग चर्चा में है जिनका नाम डायरी में है या जो डायरी के आधार पर आरोप प्रत्यारोप करते है. वर्तमान में चर्चित डायरी में नाम है स्वयं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का. इससे पूर्व भी कई डायरियो व दस्तावेजो पर चर्चा होती रही है जिनमे राजनेताओं के आधे-अधूरे या पूरे नाम का लिखा होना पाया गया. इसी बीच ऐसी कई डायरिया है जिनमे राजनेताओ के नाम नहीं होते है. ऐसी सभी डायरियो की आयकर विभाग व पुलिस की नजर में महत्व / मतलब अलग-अलग होता है.
डायरी से ज्यादा महत्त्व उन लोगो का होता है जिनका नाम डायरी में होता है. जितना बड़ा नाम, उतनी ही फेमस डायरी. कुछ वर्षो पहले ‘जैन हवाला डायरी’ बड़ी फेमस हुई जिसमे आधा-अधूरा अडवानी जी का नाम आया है. उस खुलासे से अडवानी जी इतने ज्यादा आहत हुए कि उच्च आदर्श (High Moral) प्रस्तुत करने के चक्कर में लोकसभा से ही इस्तीफा दे दिया और प्रतिज्ञा की कि निर्दोष साबित होने पर ही संसद में पाँव रखेंगे. अडवानी जी ने स्वयं अपनी गाडी क्या पटरी से उतारी, डायरी से निर्दोष साबित हो जाने के बावजूद, उनकी गाडी आज दिन तक पटरी पर वापिस नहीं लोट पाई और उनका चेला आज का प्रधान मंत्री है और स्वयं बुजुर्गियत निभा रहे है.
उसके बाद ‘अगस्ता हेलीकाप्टर’ रिश्वत काण्ड से सम्बंधित एक डायरी शब्द ‘S’ के आधार पर सोनिया गांधी का नाम व शब्द ‘A’ के आधार पर एंटोनी का नाम चर्चा व विवाद में आया और वह विवाद आज भी जारी है , यह अलग बात है कि किसी की भी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा. बीजेपी नेता उस डायरी के आधार पर सोनिया गांधी व एंटोनी को घेरने में लगे थे जबकि कांग्रेस के अनुसार सिर्फ ‘S’ को सोनिया गांधी व शब्द ‘A’ को एंटोनी नहीं माना / पढ़ा जा सकता.
ताजा बिड़ला-सहारा डायरियो में करोड़ो की रिश्वत के आरोप में शब्द ‘मोदीजी’ के नाम की प्रविष्ठिया मिली जिसको कांग्रेसी नेता ‘प्रधान मंत्री मोदीजी’ पढ़ रहे है जबकि बीजेपी नेता उसे झूठा बता रहे है. यह विवाद आरोप-प्रत्यारोप आज भी जारी है लेकिन इस डायरी का भी किसी की भी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा. तीनो ही मामलों में पुलिस या आयकर विभाग में एक तिनखा भी नहीं हिला.
अब मै चर्चा कर रहा हूँ, एक आम आदमी / व्यापारी की टेलीफोन डायरी की (जिसकी कॉपी इसी रिपोर्ट के नीचे प्रकाशित की जा रही है), जिसके अंतिम पेज पर दिनांक 18.02.2009 को एक आयकर सर्वे की कार्यवाही दोरान कुल 39 फर्जी एंट्री करवाई गयी तथा इन फर्जी 39 एंट्री के आधार पर बिलकुल ही झूठी कुल रू. 1.25 करोड़ अघोषित आय की घोषणा भी करवा ली गयी. इस फर्जीवाड़े को और पुख्ता करने के लिए बाकायदा कंप्यूटर में भी 18.02.2009 को फर्जी एंट्री कर दी गयी. व्यापारी द्वारा लाख कोशिश करने के बावजूद उस कंप्यूटर व फर्जीवाड़े की फॉरेंसिक जांच करवाए बिना सिर्फ कर वसूली के लिए दबाव बना कर करदाता को परेशान / तंग करने में कोई कमी नहीं रखी गयी.
उपरोक्त पहली तीन डायरियो में गवाहों के आरोप है लेकिन पुलिस या आयकर विभाग की कोई कार्यवाही नहीं दिखी जबकि चोथे मामले में कोई गवाह नहीं है फिर भी आयकर विभाग द्वारा करदाता को कर-चोर बताया गया क्योकि वो राजनेता नहीं है. यह चौथा मामला अभी आयकर ट्रिब्यूनल में न्याय के लिए संघर्षरत है लेकिन करदाता गेर-राजनीतिक होने कारण उसके लिए न्याय प्राप्त करना बड़ा ही कठिन कार्य होगा. मजे की बात यह है कि इस मामले में फर्जीवाड़ा करने वाले अफसरों के आज भी मजे ही मजे है.
निष्कर्षत: डायरी या उसमे लिखी एंट्री इतनी महत्वपूर्ण नहीं है. यदि एंट्री किसी राजनेता के नाम की है तो वो झूठी व षड्यंत्रपूर्ण है लेकिन यदि डायरी में फर्जी एंट्री भी किसी गेर-राजनीतिक व्यक्ति के नाम में है तो उस व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए पुलिस व आयकर विभाग के लिए आधा-अधूरा या झूठा नाम होना ही पर्याप्त होगा.