क्या फर्जी हथियार लाइसेंस प्रकरण की एटीएस जांच दोषियों को बचाने का प्रयास तो नहीं है ?
क्या फर्जी हथियार लाइसेंस प्रकरण की एटीएस जांच दोषियों को बचाने का प्रयास तो नहीं है ?
इन दिनों विशेष तोर पर राजस्थान में फर्जी हथियार लाइसेंस प्रकरण रह-रह कर गूंजने लगता है. एटीएस रह-रह कर थोड़े दिनों में किसी को गिरफ्तार करती है या जांच के लिए पूछताछ करती है, जिसमे या तो एटीएस स्वयं ही आरोपियों को छोड़ देती है या कोर्ट से जमानत जो जाती है. सभी को ज्ञात होना चाहिए कि भाजपा राज में घटित फर्जी हथियार लाइसेंस प्रकरण से जुड़े फर्जी हथियार लाइसेंस धारक धनाठ्य वर्ग के अमीर लोग है जिनके लिए एटीएस से आजाद होना कोई बड़ी बात नहीं है.
एटीएस क्यों पिक्चर में आई : मूलत: सारे फर्जी लाइसेंस आतंकवाद से ग्रस्त जम्मू-कश्मीर से जारी हुए थे तथा प्रकरण का मुख्य सूत्रधार मुसलमान होने से सारे मामले का आतंकवाद से जुड़े होने की संभावना के कारण इसकी जांच एटीएस (आतंक विरोधी दस्ता) को सौप दी गयी. हालाकि जांच में अंतत: यही सामने आयेगा कि किसी का भी सम्बन्ध आतंकवाद से नहीं था.
उदाहरण के लिए ताजा नाम सहकारिता दिग्गज नव-धनाढ्य मुकेश मोदी का आया. एटीएस भी जानती है कि बीजेपी व आरएसएस से उच्च स्तरीय जुड़ाव रखने वाला मुकेश मोदी आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकता. इसके बावजूद उससे पूछताछ कर उसकी नकारात्मक पब्लिसिटी करवा कर एटीएस आखिर क्या हासिल करना चाहती है, समझ से परे है.
आतंकवाद के नाम पर जांच को ही पटरी से उतारने का प्रयास होगा : मामले में आतंकवाद का कोई लेना देना नहीं है फिर भी जांच आतंकवाद की हो रही है, अत: एटीएस या कोर्ट अंतत: सभी को इस आरोप से तो बरी कर देगी और सभी दोषी / आरोपी वास्तविक आरोपों से भी धीरे-धीरे मुक्त हो जायेंगे. इस कारण यह भी शंका व्यक्त की जा रही है कि कही आतंकवाद के नाम पर जांच को ही पटरी से उतारकर दोषियों को बचाने का प्रयास तो नहीं हो रहा है.
किन-किन आरोपों की जांच होनी चाहिए : हकीकत में निम्न आरोपों की जांच होनी चाहिए जिनको कि धनाढ्य वर्ग के आरोपियों द्वारा दबवाने का पूरा-पूरा प्रयास किया जाएगा –
- दलाल के मार्फ़त किस तरह से भ्रष्टाचार के रास्ते लाइसेंस लिए गए तथा भ्रष्टाचार में कोन-कोन सा सरकारी अधिकारी व कर्मचारी संलिप्त था.
- राजस्थान के निवासियों द्वारा किस-किस तरह की फोर्जरी व फर्जीवाड़ा कर जम्मू-कश्मीर से लाइसेंस लिया गया .
- फर्जी तरीके से जम्मू-कश्मीर से प्राप्त लाइसेंस को किस-किस तरह की फोर्जरी व फर्जीवाड़ा कर राजस्थान में ट्रान्सफर करवा लिया गया.
- दोनों राज्यों के संलिप्त भ्रष्ट सरकारी अधिकारियो व कर्मचारियो के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर जांच की जानी चाहिए.
- फर्जी लाइसेंस यानिकी नाजायज हथियार रखने के आरोप की तो नियमित जांच होनी ही चाहिए.
- क्या बिना प्रकरण दर्ज किये व बिना जब्ती दिखाए, राजस्थान पुलिस कोई भी नाजायज हथियार, हथियार धारक से स्वीकार कर सकती है या ले सकती है, इस विषय की भी जांच होनी चाहिए क्योकि सोशल मीडिया में दावा किया गया है कि गडबडी का पता चलते ही पुलिस के पास हथियार जमा करवा दिया गया था.