कहा खो गया मोदी जी का 2005 में देश को दिखाया 2.20 लाख करोड़ रूपयों का विकास का सपना ?
कहा खो गया मोदी जी का 2005 में देश को दिखाया 2.20 लाख करोड़ रूपयों का विकास का सपना ?
ऐसा नहीं है कि नोटबंदी के समय पहली बार मोदी साहब ने यश (Credit) लेने के लिए रिज़र्व बैंक गवर्नर को पीछे छोड़ स्वयं ने आगे आकर नोटबंदी की घोषणा की बल्कि पहली बार गुजरात के मुख्य-मंत्री बनने के बाद जून, 2005 में भी फ्रंट-फूट पर आकर स्वयं मोदी जी ने के.जी. बेसिन में 2.20 लाख करोड़ रूपयों के पेट्रोलियम गैस भण्डार की घोषणा की थी तथा दिन के उजाले में एक सपना दिखाया था. वह सपना कभी पूरा नहीं हुआ बल्कि एक सब्ज-बाग़ बनकर बात आई गयी हो गयी.
दिनांक 26 जून, 2005 को उस समय के गुजरात (Gujarat) के मुख्यमंत्री मोदी जी ने एक घोषणा करके न केवल पूरे देश को चौंका दिया था बल्कि पूरे देश में चमत्कृत खुशी का माहोल पैदा कर दिया था. उन्होंने घोषणा की थी कि गुजरात सरकार के गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारपोरेशन (Gujarat State Petroleum Corporation) को के.जी.बेसिन (K.G.Basin) में देश का सबसे बड़ा 20 ट्रिलियन क्यूबिक फीट का अथाह गैस भण्डार (Gas Reserve) मिला जिससे 2.20 लाख करोड़ रूपयों की पेट्रोलियम गैस का उत्पादन हो सकेगा.
घोषणा साबित हुई सिर्फ सपना और सब्ज-बाग़ : लिखते हुए मुझे खेद है कि अरबो रूपया खर्च और नुकसान करके भी 2015 तक के.जी. बेसिन में गैस का वाणिज्य उत्पादन (Commercial Production) शुरू नहीं हो सका और संभावना है कि भविष्य में भी गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारपोरेशन एक क्यूबिक फीट गैस उत्पादन शायद ही वाणिज्य स्तर पर कर पायेगी क्योकि लागत बहुत ज्यादा है जबकि उत्पादित होने वाली गैस की कीमत सपने से काफी कम. एक उपलब्धि अवश्य हुई कि 2007 के गुजरात विधान-सभा चुनावों में इस विकास का सपना मतदाताओ को काफी अच्छा लगा और मोदी जी की छवि को भी फ़ायदा मिला.
चापलूसों ने भी कोई कमी नहीं रखी : गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारपोरेशन के उस समय के प्रबंध निदेशक डी.जे.पांडियन (D.J.Pandian) ने तो यहां तक कह डाला था कि यह अनुमान (20 ट्रिलियन क्यूबिक फीट अथाह गैस भण्डार) तो काफी कंजूसी से बताया जा रहा है जबकि इससे भी बहुत बड़ा भण्डार उपलब्ध है. खुदाई में सहयोगी अमेरिकन कम्पनी के अनिल चोपड़ा (Anil Chopara) ने तो दुगुना यानिकी 40 ट्रिलियन क्यूबिक फीट (4.40 लाख करोड़ रूपयों की पेट्रोलियम गैस) तक का गैस भण्डार बता डाला था.
मामला झूठ का है या भ्रष्टाचार का है या प्रबंधकीय असफलता का : Comptroller & Auditor General (CAG-कैग) ने भी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कई गंभीर आपतिया की है. कैग ने आरोप लगाया कि जिस कंपनी को ठेका दिया गया था, उस Tuff Drilling नामक कंपनी को ड्रिलिंग का कोई अनुभव ही नहीं था, जब उस Tuff Drilling नामक कंपनी को अनुभव के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि उसका सहयोगी ठेकेदार (Sub-contractor) अनुभवी है. कैग के अनुसार भी इस मामले में गुजरात (देश) को अरबो रूपयों का नुकसान पहुचाया गया है. कैग की उस रिपोर्ट में और भी कई गंभीर आरोप लगाए गए है.
यही नहीं, 2015 तक जॉइंट वेंचर (Joint Venture) पार्टनर Geo Global Resources (India) से 1734.60 करोड़ व Jubilant Offshore Drilling Private Limited से 313.65 करोड़ की बकाया वसूली भी 2015 तक नहीं की जा सकी थी. कैग की रिपोर्ट में यह भी आरोप है कि उपलब्ध गैस के मुकाबले 116 गुना गैस भण्डार का अनुमान दिखाया गया. गैस भंडार के अनुमान के लिए गैस की रेट को भी लगभग 20% से ज्यादा दिखाया गया. कैग रिपोर्ट के अनुसार 116 गुना गैस भण्डार की गणना की जाए तो यह राशि के 2.20 लाख करोड़ रूपयों के मुकाबले मात्र 2 हजार करोड़ से भी कम आती है.
देश की जनता ही नहीं, नेता भी भुलक्कड़ है : निसंदेह देश की जनता तो भुलक्कड़ है ही, देश के नेता लोग भी कम भुलक्कड़ और लापरवाह नहीं है. आपने देखा होगा कि पूरे गुजरात के 2012 व 2017 के विधान सभा चुनावों व 2014 के लोकसभा चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल (Political Parties)ने नहीं पूछा कि 2.20 लाख करोड़ रूपयों की कीमत का 20 ट्रिलियन क्यूबिक फीट अथाह गैस भण्डार कहा चला गया और अरबो-खरबों रूपयों के नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन है.
- सीए कैलाश चंद्रा
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