जीएसटी से ऑनलाइन रिटेल व्यापार का तोर-तरीका बिलकुल ही बदल जाएगा ?
जीएसटी से ऑनलाइन रिटेल व्यापार का तोर-तरीका बिलकुल ही बदल जाएगा ?
नए जीएसटी क़ानून (GST Law) से भारत में प्रचलित ऑनलाइन रिटेल व्यापार (Online Retail Trade) पूर्ण रूप से प्रभावित होगा तथा व्यापार का तोर-तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा. लेकिन उपभोक्ता (Consumer) को पता ही नहीं चलेगा कि उसके नजरिये से क्या परिवर्तन हुआ या होगा. हालाकि इन परिवर्तनों से भारतीय उपभोक्ता (Indian Consumer) व एक नम्बरी भारतीय सप्लायर (Genuine Indian Supplier), दोनों को फ़ायदा होगा.
अभी तक क्या होता था : प्रचलित व्यवहार के अनुसार उपभोक्ता ई-कॉमर्स ऑपरेटर (जेसे अमेजन, फ्लिपकार्ट , ebay आदि) को ऑनलाइन आर्डर (Online Order) देकर पेमेंट करता है और उसे माल की सप्लाई कोई भी अन्य पार्टी करती है. ऐसा ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी (E-commerce operator / company) सप्लायर से अपना कमीशन काट कर अपने द्वारा बनाए नियमो अनुसार कई सप्ताह या महीनो के बाद सप्लाय को पेमेंट करता है. यानिकी आर्डर बुक करने वाला व सप्लाई करने वाला दोनों अलग-अलग व्यापारी होता है.
ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी एक तरह से सप्लायर के एजेंट (Agent Of Supplier) की तरह काम करती है. इस व्यवस्था में क्लेम व डिस्प्यूट (Claim and Dispute) की स्थिति में उपभोक्ता को कभी-कभी नुकसान या परेशानी उठानी पड़ती है. इस प्रचलन में ऑनलाइन में दो नंबर का काम भी काफी होने लग गया था क्योकि ऑनलाइन कंपनी ( Online Company) की कोई जिम्मेद्दारी वैट में थी नहीं और सप्लायर की सही-सही या पूरी जानकारी उसको होती नहीं थी. एक पहलू यह भी था कि ये कंपनिया भी दो नंबर व्यापार (Two Number Business) को प्रमोट करती थी ताकि उपभोक्ता को सस्ता माल मिले. इस ऑनलाइन व्यापार में एक रोचक लेकिन विवादित मामला यह भी है कि ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी प्रिंसिपल (Principal) है या एजेंट (Agent) ?
जीएसटी में ई-कॉमर्स / ऑपरेटर कंपनी का क्या रोल होगा : नए जीएसटी क़ानून में ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी को भारत के प्रत्येक राज्य में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य ( Compulsory Registration)कर दिया गया है. कुल मिलाकर तीन नए फीचर्स जोड़ कर ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी को भारी जिम्मेदारिया दे दी गयी है –
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया.
- ई-कॉमर्स कंपनी को सप्लायर का जीएसटी क़ानून में 1% से टीडीएस (TDS) काटना होगा.
- जीएसटी टैक्स जमा होने / कराने के दायित्व के CGST की धारा 86 अनुसार ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी को भी जिम्मेदार बना दिया गया (यदि ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी प्रिंसिपल हो – If E-commerce Operator is the Principal).
जीएसटी में ऑनलाइन व्यापार अब केसे होगा : नए जीएसटी क़ानून का जो स्वरुप बना है और जेसी रणनीतिक खबरे आ रही है, उसके अनुसार अब भविष्य में ऑनलाइन व्यापार के तरीको में निम्न परिवर्तन नजर आयेंगे-
- दो नंबर का व्यापार पूरी तरह से रूक सा जाएगा.
- यह फोर्मेट उपभोक्ता व सप्लायर दोनों के हित में होगा.
- छोटे-छोटे सप्लायर ऑनलाइन मार्किट से बाहर हो जायेंगे.
- फ्लिफ्कार्ट जेसी कंपनिया अब स्वयं बिलिंग करना शुरू कर देगी (Self Billing).
- ऐसाऑनलाइन व्यापार घटने से स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा.
- हाल-फिलहाल अधिकाँश बुकिंग / व्यापार / सप्लाई बंद कर दी गयी है.
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी के साथ टैक्स चोरी के मामलों में दायित्व बढ़ जाएगा.
- विदेशी व बड़ी ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी क़ानून को बदलवाने का पूरा प्रयास करेगी (Multi-national Companies).
- यदि ई-कॉमर्स ऑपरेटर / कंपनी स्वयं बिलिंग करती है तो ऑनलाइन व्यापार काफी हद तक सीमित / कम हो जाएगा जिससे ई-कॉमर्स कंपनी की प्रशासनिक लागत (Administration Cost) खूब बढ़ जायेगी.
सीए के.सी.मूंदड़ा / CA. K.C.Moondra