नोटबंदी योजना में बैंकिंग भ्रष्टाचार की नयी शुरुआत
नोटबंदी योजना में बैंकिंग भ्रष्टाचार की नयी शुरुआत
नोट बंदी योजना से पहले ‘बैंकिंग संसार’ (सहकारी बैंको को छोड़कर) लगभग भ्रष्टाचार से मुक्त था लेकिन बरसो बाद बैंक कर्मचारियों को भी भ्रष्टाचार की गंगा में डूबकी लगाने का मोका मिल ही गया और वो भी नए नोटों के साथ. ऐसा कहा जा सकता है कि नए नोटों के साथ नए भ्रष्टाचार की पहली शुरुआत बैंको से ही हुई है.
बैंको में निम्न तरीको से भ्रष्टाचार व्याप्त हुआ है जो नोट बंदी योजना के उद्देश्यों के बिलकुल ही विरुद्ध है –
>1. 4000 की नोट बदली के लिए आई.डी.प्र्रूफ का धडले से दुरूपयोग हो रहा है. विभिन्न ई-मित्रो, आधार केन्द्रों, पेनकार्ड ऑफिस आदि कई अन्य स्थानो पर हजारो की संख्या में आई.डी.प्र्रूफ की फोटो कॉपिया पड़ी है. 4000 के आवेदन पर फर्जी हस्ताक्षर करके, उन आवेदनों को ऐसे आई.डी.प्र्रूफ के साथ मिलीभगत कर बैंक कर्मियों के घर पहुचा दिए जाते है तथा शाम / रात्री को बैंक कर्मियों के घर से रिश्वत का पैसा काटकर नए नोट ले लिए जाते है या होम डिलीवरी कर दी जाती है, जिससे बिना बैंक जाए घर बेठे ही सरकार को बेवकूफ बनाया जा रहा है.
>2. कुछ सहकारी बैंको के उच्च प्रबंध (सही अर्थो में मालिक) स्वयं ही नए नोटों का बेच रहे है. इन मे से कुछ सहकारी बैंको के पास पेन कार्ड सेंटर होने से उनके पास आई.डी.प्र्रूफ की कोई कमी नहीं है.
>3. ऐसे हर आवेदन के साथ खुद को उपस्थित होना होता है, अन्यथा अथॉरिटी पत्र साथ में देना होता है लेकिन न तो कोई उपस्थित हो रहा है और न हीं कोई अथॉरिटी पत्र लिए जा रहे है तथा जिसके झूठो नाम से नोट बाफले / बदलवाये जा रहे है, वो बेचारे ऐसे षडयन्त्रो से अनविज्ञ है.
> 4. यह एक तरह से उन लोगो के साथ धोखा है जिनकी पीठ के पीछे बिना उनकी जानकारी के, उनके नाम से निकासी हो रही है तथा सरकार को भी बड़ा धोखा दिया जा रहा है.
>5. गरीबो, बेरोजगारों, प्राइवेट कर्मचारियों व प्राइवेट फेक्ट्री वर्कर्स के लिए भी रोजगार का नया साधन मिल गया है. लाइन में खडा होकर अपने मालिक के लिए किसी भी फर्जी / असली आई.डी.प्र्रूफ के साथ लाइन में खडा होकर 4000 लाना अब रोजमर्रा का काम हो गया है. दिहाड़ी मजदूरों की दिहाड़ी वेतन 1,000 रूपया तक पहुच चुका है. ऐसे दिहाड़ी मजदूर तो मोदी जी को खूब आशीर्वाद दे रहे है.
विजय सिंह राठोड़