बीमा एजेंट्स को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाने की भी आवश्यकता नहीं होगी ?
बीमा व बैंक के रिकवरी एजेंट्स को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाने की भी आवश्यकता नहीं होगी ?
कुछ दिनों पहले न्यूज़ क्लब पर एक लेख प्रकाशित हुआ था जिसमे बताया गया था कि हर कोई एजेंट – दलाल भी जीएसटी की गिरफ्त में आ चुका है. यह भी बताया गया था कि इस क़ानून की साधारण व्याख्या से समझा जा सकता है कि देश के निम्न प्रमुख एजेंटो को अनिवार्य रूप से जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा –
- एल.आई.सी.(LIC) सहित सभी जीवन बीमा का कारोबार (Life Insurance Business) करने वाली कंपनियों ( Companies) के एजेंट.
- जीवन बीमा के अलावा अन्य बीमा का कारोबार करने वाली कंपनियों (जनरल इन्सुरेंस– General Insurance) के एजेंट.
- सरकारी, प्राइवेट व सहकारी बेंको(Public, Private and Co-operative Bank) के रिकवरी एजेंट.
- क्रेडिट कोपरेटिव सोसाइटी सहित सभी तरह की कोपरेटिव सोसाइटियो( All Co-operative Societies including Credit Co-operative Societies) के एजेंट.
- पेनकार्ड व आधार कार्ड कंपनियों के एजेंट.
- रियल एस्टेट के व्यापार(Real Estate Business) से जुड़े एजेंट व दलाल.
- रोजमर्रा के व्यापार( Routine Trade) से जुड़े एजेंट व दलाल.
लेकिन भारत सरकार द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार भारत सरकार ने एल.आई.सी. (LIC) सहित सभी जीवन बीमा का कारोबार (Life Insurance Business) करने वाली कंपनियों ( Companies) के एजेंट, जीवन बीमा के अलावा अन्य बीमा का कारोबार करने वाली कंपनियों (जनरल इन्सुरेंस – General Insurance) के एजेंट व सरकारी, प्राइवेट व सहकारी बेंको (Public, Private and Co-operative Bank) के रिकवरी – वसूली एजेंट को जीएसटी में अनिवार्य रजिस्ट्रेशन से मुक्त कर दिया है. अत: अब इन agents को gst में रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता नहीं होगी तथा उनकी सेवाओं पर जीएसटी लागू रहेगा जिसको RCM के तहत बीमा कंपनिया व बैंक स्वयं जमा करायेगी.
इन agents के अलावा अन्य agents को न तो GST से छूट दी गयी है और न हीं रजिस्ट्रेशन से. हाँ, इन agents के साथ-साथ Goods Transport Agency, Lawyers & Advocates व Director of Company को भी gst में रजिस्ट्रेशन कराने से छूट दे दी गयी है. इस सरकारी विज्ञप्ति का सारांश यह है कि जिन सेवाओं पर सिर्फ RCM के तहत ही टैक्स लगना है, उन सेवा प्रदाताओं को GST में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य भी नहीं है तथा करनी की आवश्यकता भी नहीं होगी.
GST का क़ानून व नियम काफी कलिष्ठ होने के साथ बहुत ही बिखरा हुआ है. किसी भी एक व्यक्ति के लिए क़ानून को एक जगह सर्च करना व उसे समग्रता से समझना लगभग असंभव है. अत: जब भी GST क़ानून पढ़ना चाहे तो सारे अधिनियम, नियम, विज्ञप्तिया, परिपत्र आदि एक साथ पढ़े और किसी भी टीवी-अखबार की खबर या किसी के वक्तव्य के आधार पर अपनी राय नहीं बनाए.