खाध्य तेलों में मिलावट केसे केसे ?
खाध्य तेलों में मिलावट केसे केसे ?
खाध्य पदार्थो में मिलावट देश के स्वाश्थ्य को बिगाड़ने में सबसे अहम् रोल है. खाध्य पदार्थो में सबसे ज्यादा मिलावट खाध्य तेलों में होती है. खाध्य तेल उद्योग व इनके व्यापार के बाहर आम उपभोक्ता को पता ही नहीं चलता कि खाध्य तेलों में केसे केसे मिलावट की जाती है.
सभी मिलावाटो का मुख्य उद्देश्य धोखाधड़ी करके पैसा कमाना होता है. कुछ मिलावट स्वास्थ्य के लिए विशेष हानिकारक नहीं होती है लेकिन वो मात्र उपभोक्ता की जेब के लिए हानिकारक होती है जबकि कुछ मिलावट उपभोक्ता की जेब व स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक होती है. मिलावट कोई भी हो, एक तरह से उपभोक्ता के साथ ठगी व धोखाधड़ी ही है. आज आम उपभोक्ताओं के ज्ञानार्थ उन सभी मुख्य फोर्मुलो की चर्चा करूंगा जिनके द्वारा खाध्य तेलों में मिलावट कर उपभोक्ताओं की जेब व स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ की जाती है –
- सस्ते तेलों की मिलावट – यह सबसे प्रचलित व आसान मिलावट का तरीका है जो हर कोई मिलावटखोर काम में लेता है. भारत में सबसे सस्ता तेल आयातित पाम आयल होता है जो कि रिफाइनिंग से खाध्य तेल बनाया जाता है. इस तेल का मिलावट में उपयोग सर्दियों में थोड़ा कम हो जाता है क्योकि यह तेल जम जाता है जिससे मिलावट पकड़ में आ सकती है. साधारणतया मिलावट में सस्ते व रिफाइंड तेलों का उपयोग होता है. इसका सीधा व्यापारिक फोर्मुला है कि जितना महँगा तेल होगा उसमे उतनी ही ज्यादा मिलावट होगी. भारत में सस्ते तेल, जेसे आयातित पाम आयल, सोयाबीन तेल, रिफाइंड सरसों तेल, राइस ब्रान तेल आदि की मिलावट उनसे महंगे तेलों में की जाती है. बकोल बाबा रामदेव ‘पतंजली की आटा मेगी’ में भी राइस ब्रान के रिफाइंड तेल का उपयोग किया जाता है जो केमिकल प्रोसेस से ही निकाला जाता है.
- रिफाइंड तेलों की मिलावट – किसी भी खाध्य तेल की रिफाइनिंग में बाद उसकी खुशबू व रंग को उड़ा दिया जाता है. उसके बाद सारे रिफाइंड तेल स्वाद, रंग व खुशबू में एक जेसे हो जाते है लेकिन सभी तेलों के अपने ख़ास गुण व तासीर होती है वो रिफाइनिंग करने से भी नहीं बदल पाती है. एक पुराना गाना है, “ पानी रे पानी तेरा रंग केसा, इसमे मिलाया उस जेसा ”. यही बात रिफाइंड तेल पर लागू होती है, “ रिफाइंड तेल तू है कोनसा तेल, जिसमे मिलाया वही मै तेल “.
- अखाध्य तेलों की मिलावट – अखाध्य तेल भी दो तरह के होते है. एक तरह के अखाध्य तेल वो होते है जो रिफाइंड करने के बाद खाध्य तेल बन जाते है जेसे पाम आयल, करडी का तेल, सन-फ्लावर (सूरज मुखी) का तेल व कॉटन सीड तेल आदि. दूसरी तरह के अखाध्य तेल वो होते है जो रिफाइंड करने के बाद भी अखाध्य तेल ही रहते है, जेसे कैस्टर (अरंडी) आयल आदि. पहली तरह के रिफाइंड (अखाध्य) तेलों की मिलावट की मात्रा बिना सीमा के बहुत ज्यादा होती है जबकि दूसरी तरह के बहुत ही सस्ते अखाध्य तेलों की मिलावट एक सीमित सीमा में की जाती है ताकि उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर तत्काल असर नहीं दिखाए अन्यथा मिलावट पकड़ में आ सकती है.
- दो या ज्यादा तेलों से मिलाकर तीसरा ब्रांडेड खाध्य तेल– आजकल कई ब्रांडेड तेल मात्र खाध्य तेलों के नाम से बेचे जाते है जिन्हें दो या अधिक तेलों को मिलाकर बेचा जाता है. ऐसे खाध्य तेलों की पैकिंग पर यह भी नहीं बताया जाता कि उसमे कौन-कौन सा तेल मिलाया (Blend / Mix) गया है. वही कुछ तेलों पर बाकायदा मिलाये गए तेलों की मात्रा को लिखा भी जाता है जो कोलेस्ट्राल फ्री तेल के नाम से महंगे बेचे जाते है. उदाहरण के लिए आप ‘सफोला तेल’ को ले लीजिये. ‘सफोला तेल’ दो सस्ते तेलों की मिलाकर बनाया गया महँगा तेल होता है. होशियार उपभोक्ता मिश्रण का काम अपने घर पर ही कर लेते है.
- मिलावट जो पकड़ में ही नहीं आती – इसके ओर भी कई मामले हो सकते है लेकिन यहाँ पर मै आज सरसों तेल की बात करूंगा. बाजार में कुल 5 तरह के सरसों तेल उपलब्ध होते है. 1. पीली सरसों का तेल (दुर्लभ व बहुत कम मात्रा), कच्ची घानी का सरसों / रायड़ा (Rapeseed) तेल, 3. पक्की घानी (एक्सपेलर / Expeller) का सरसों / रायड़ा (Rapeseed) तेल, 4. रिफाइंड (रिफाइंड) सरसों / रायड़ा (Rapeseed) तेल व 5. रिफाइंड (रिफाइंड) SEO सरसों / रायड़ा (Rapeseed) तेल जो कि सरसों की खल में से केमिकल प्रोसेस से निकाला जाता है, जो रिफाइंड होने के बाद तो अच्छा खाध्य तेल बन जाता है. ये चोथे व पाचवे रिफाइंड तेल किसी भी अन्य सरसों तेल में मिलाने पर साधारणतया मिलावट पकड़ में ही नहीं आयेगी.