जीएसटी : टाइम ऑफ सप्लाई / पेमेंट के मुताबिक लगेगा टैक्स !
जीएसटी : टाइम ऑफ सप्लाई / पेमेंट के मुताबिक लगेगा टैक्स !
जीएसटी एक्ट की धारा 12 के मुताबिक किसी भी प्रकार की बिक्री पर टैक्स टाइम ऑफ सप्लाई / टाइम ऑफ़ आर्डर के मुताबिक ही लगेगा। इस नियम के हिसाब से बिक्री मूल्य की प्राप्ति, माल क्रेता को भेजने की दिनांक या फिर बिल जारी करने की दिनांक इन सबसे में जो पहले हो, उस दिनांक पर कर का दायित्व आ जाएगा।
उदहारण से समझे :-
यदि किसी व्यापारी को माल का ऑर्डर यदि जून माह में मिले और जुलाई में उन्हें माल का पूरा पैसा एडवांस में मिल जाए, और अगस्त माह में वो माल की डिलीवरी दे और उस माल का बिक्री बिल भी अगस्त माह में जारी करें तो जीएसटी चुकाने का दायित्व कब आएगा। चूंकि जीएसटी में हर महीने रिटर्न और टैक्स भरना होगा इसलिए व्यापारी को ब्याज और पेनल्टी से बचने के लिए टैक्स कौन से महीने में भरना होगा यह उनके लिए जानना जरूरी है।
इस स्थिति में व्यापारी को टैक्स भरने की जिम्मेदारी जुलाई महीने में ही आ जाएगी। जिस दिन उन्होंने विक्रय की रकम एडवांस के रूप में ले ली है। इससे कर चुकाने की दिनांक पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि माल की डिलेवरी उन्होंने अगस्त माह में दी हो या फिर विक्रय बिल किस माह में जारी किया हो। जीएसटी में कर हर महीने भरना होगा। इसलिए टाइम ऑफ सप्लाई के नियम को ध्यान रखकर यदि टैक्स भरा जाए तो देरी से टैक्स भरने पर देय ब्याज और पेनल्टी से बचा जा सकेगा।