भारत में देश सेवा का कार्य (टीडीएस काट कर जमा कराना) भी एक जायज चूक पर, एक बड़ा जुर्म बन जाता है – नया भारत पार्टी
भारत में देश सेवा का कार्य (टीडीएस काट कर जमा कराना) भी एक जायज चूक पर, एक बहुत बड़ा जुर्म बन जाता है – नया भारत पार्टी
भारत में पहली बार ‘नया भारत पार्टी ‘ नामक पार्टी पैदा हुई है जो कि देश को टीडीएस मुक्त (TDS FREE INDIA) का वादा कर रही है. इस पार्टी के अध्यक्ष कैलाश चंद्रा के अनुसार टीडीएस काट कर जमा कराना, एक देश सेवा का कार्य है लेकिन थोड़ी सी जायज चूक हो जाने पर एक बहुत बड़ा जुर्म बन जाता है. पार्टी अध्यक्ष का यह भी मानना है कि देश में टीडीएस क़ानून (आयकर कटोती क़ानून) अनावश्यक व अति अन्यायपूर्ण है. यह क़ानून प्रत्येक पेन कार्ड धारक जिसका टीडीएस काटने का जबरदस्ती सोपा गया सेवा दायित्व है, के लिए अति अन्याय पूर्ण व अति कष्टदायक है.
इस सम्बन्ध में एक तथ्य यह भी है कि टीडीएस से कोई फाइनल टैक्स की वसूली या सरकार को आय नहीं होती है बल्कि टैक्स कुछ समय के लिए जल्दी सरकार के पास आ जाता है और ऐसे करदाता की जानकारी सरकार के पास आ जाती है जिससे कर चोरी रोकने में सरकार को मदद मिलती है.
टीडीएस काट कर जमा कराना देश सेवा का कार्य केसे : पेन कार्ड धारको को सरकार ने दायित्व सोपा है कि यदि वो किन्ही अन्य व्यक्तियों को भुगतान (एक सीमा से ऊपर ब्याज, कमीशन, वेतन, ठेकेदारी आदि) करते हो तो ऐसे पेन कार्ड धारक की ड्यूटी है कि वो ऐसे प्राप्तकर्ता के भुगतान में से टीडीएस (स्रोत्र पर आयकर की कटोती) काट कर उस प्राप्त कर्ता के आयकर खाते में जमा कराएगा. टैक्स काटकर जमा कराने के बदले सरकार उस व्यक्ति को कोई वेतन या फीस या कमीशन या इनाम नहीं देती है, यानिकी कटोती-कर्ता यह सेवा देश को निशुल्क देता है. इसलिए टीडीएस काट कर जमा कराना देश सेवा का कार्य है. इस सेवा कार्य की जिम्मेदारी सिर्फ व्यापारियों तक सीमित नहीं है बल्कि सभी तरह के कटोती-कर्ताओ पर है, जिसमे सरकारी अधिकारी भी शामिल है.
कटोती-कर्ता को क्या-क्या करना पड़ता है ? : कटोती-कर्ता को देश को दी जाने वाली टीडीएस सेवा के लिए निम्न सेवाये देनी पड़ती है और वो भी निशुल्क –
- कटोती कर्ता को प्राप्तकर्ता से को भुगतान करते वक्त या उसकी आय उसके खाते में जमा करते वक्त, उस भुगतान में से आयकर कटोती की निश्चित दर से कटोती करता है.
- भुगतान करने का तत्काल दायित्व हो या नहीं हो तो भी आयकर कटोती की निश्चित दर से कटोती करता है.
- उस कटोती की रकम को बैंक की लाइन में खडा रहकर सरकार के खाते में जमा कराता है.
- यदि जमा कराने में देरी हो गयी तो 18% सालाना ब्याज दर से ब्याज चुकाता है.
- कटोती राशि जमा कराने के बाद उसका रिटर्न भरता है.
- रिटर्न तेयार करने व भरने के लिए सीए को फीस चुकाता है यानिकी सरकार अपना काम करवा रही है उसकी फीस कटोती-कर्ता अपनी जेब से चुकाता है.
- यही नहीं उस रिटर्न को जमा कराने की फीस भी कटोती-कर्ता अपनी जेब से सरकार को ही चुकाता है यानिकी सरकार के अपने काम के लिए भी कटोती-कर्ता से सरकार उल्टी फीस लेती है.
- यदि कटोती-कर्ता ने रिटर्न समय जमा नहीं कराया या चूक हो गयी तो रू. 200/- प्रतिदिन की लेट फीस भरनी होगी.
- कटोती-कर्ता ने देरी से कटोती काटी या देरी से कटोती की रकम जमा कराई तो उसका रिटर्न भी लेट होगा ही. अब मान लीजिये, कटोती-कर्ता ने कटोती राशि, जमा कराने में देरी के लिए ब्याज, रिटर्न लेट जमा कराने के लिए लेट फीस तथा रिटर्न फीस आदि सब कुछ जमा करा दी, तो अब सरकार उसे कोर्ट से सजा भी दिलवायेगी जो कि 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है.
एक धर्मार्थ एवं समाजसेवी संस्थान को देश सेवा में चुक पर भुगतने का एक उदाहरण : यह संस्थान भूलवश: या किसी मजबूरी के चलते भुगतान पर रू. 3.00 लाख की कटोती समय पर नहीं कर सकी और उसमे 12 महीने के देरी हो गई, जिसके परिणाम स्वरुप इस कटोती-कर्ता संस्थान को कटोती कर के अलावा निम्न राशियों का भुगतान करना पडा –
- ब्याज : रू. 54,000/- (1.50% प्रति माह)
- लेट फीस : रू. 73,000/- ( रू. 200/- प्रति दिन 365 दिन के लिए)
- रिटर्न फीस : रू. 1,000/-
- कोर्ट से सजा : 7 वर्ष की जेल व जुर्माना
- सजा से बचने के लिए समझोता फीस : रू. 1,08,000/- (3.00% प्रति माह, अधिकतम रू.1,80,000/-(5.00% प्रति माह)
यानिकी रू. 3.00 लाख की कटोती सेवा में 12 माह की देरी पर सजा से बचने के लिए रू. 3.00 लाख के अलावा कम से कम रू. 2,36,000/- का ओर भुगतान करना पडेगा यानिकी इस देश सेवा में देरी के लिए कुल लगभग 80% का दण्ड.
एक कंपनी द्वारा ऐसी चुक होने पर क्या भुगतना पडेगा ? : मान लीजिये यह तीन लाख की कटोती रू. 30.00 लाख के ब्याज पर होनी थी. यदि ज्यादा करने में देरी हो गयी हो तो इस 30.00 लाख के ब्याज की कटोती (छूट ) भी कंपनी को नहीं मिलेगी जिससे रू. 30.00 लाख से आय बढ़ जायेगी जिस पर 30% की दर से रू. 9.00 लाख का टैक्स भी ब्याज के साथ चुकाना पड सकता है यानिकी ऐसी कंपनी को समय पर 3.00 लाख की कटोती जमा नहीं कराने पर, इस कंपनी को 11,36,000/- का भुगतान करना पड सकता है.
यह है सरकारी का सरलीकरण का नमूना : सरकार क़ानून में सुधार और सरलीकरण का दावा करती है लेकिन सरलीकरण का उपरोक्त उदाहरण आपके सामने है. ऐसी व्यवस्थाओं के कारण ही ‘नया भारत पार्टी’ ने ‘सरलीकृत भारत’ (Simplified India) का उद्देश्य देश के सामने रखा है और टीडीएस मुक्त भारत (TDS FREE INDIA) का वादा कर रही है.
सरकार से मांग : लेखक की भी सरकार से मांग है कि देश के अनावश्यक व अति अन्यायपूर्ण टीडीएस क़ानून (आयकर कटोती क़ानून) को तत्काल समाप्त किया जाए.
लेखक : मनीष मेवाड़ा