GST (जीएसटी) में HSN कोड क्यों जरुरी है ?
GST (जीएसटी) में HSN कोड क्यों जरुरी है ?
अगर हम यह मानकर चलते हैं कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई से लागू हो जाएगा तो इस कर प्रणाली के क्रियान्वित होने में 60 दिन से भी कम समय रह गया है। हम यहां आपको बता रहे हैं कि जीएसटी व्यवस्था के तहत कारोबार करना किस तरह अलग होगा।
जीएसटी में हर प्रोडक्ट के लिए HSN कोड निर्धारित रहेगा। HSN कोड का मतलब है ‘हार्मोनाईस्ड सिस्टम ऑफ़ नॉमेनक्लेचर ‘।जीएसटी व्यवस्था के तहत बेची जा रही हर वस्तु के सही वर्गीकरण और उन पर लागू होने वाली टैक्स की दर को निशचित करने के लिए HSN कोड बनाये गए है।यह कोड 2 अंक, 4 अंक, 6 अंक और 8 अंक के हो सकते हैं। बेची जाने वाली हर वस्तु का एक अलग कोड तय किया गया है।
हर वस्तु पर टैक्स की दर अलग होगी, लिहाजा टैक्स रेट के विवाद से बचने के लिए विभिन्न वस्तुओं के 2 हज़ार कोड बनाये गए हैं।
क्यों जरूरी है HSN कोड ?
किस वस्तु पर कितना टैक्स लगेगा, इसे स्पष्ट बनाने के लिए बेची जाने वाली हर वस्तु का एक अलग कोड बनाया गया है। मसलन, साइकल पर टैक्स की दर यदि 5 फीसदी है तो साइकल के कलपुर्जो पर यह दर 12 फीसदी हो सकती है। इसलिए जब कोई व्यापारी साइकल बेचता है तो उसका HSN कोड अलग होगा और जब वह साइकल के पार्ट्स बेचेगा तो उसका HSN कोड अलग होगा। इसी तरह से सोने के गहने और हीरे-मोती के जेवरों का HSN कोड अलग अलग होगा और इनपर टैक्स की दर भी अलग अलग हो सकती है।
क्यों जरूरी है कोड की जानकारी ?
माल बेचने के बाद जब बिक्री बिल जारी किया जाएगा, तब उस बिल में बेची जा रही वस्तु का HSN कोड लिखना जरुरी होगा। इसलिए व्यापारियों को बेची जाने वाली वस्तु के कोड की जानकारी रखनी होगी। जीएसटी का रिटर्न ऑनलाइन जमा करते वक़्त किस कोड का कितना माल ख़रीदा और बेचा गया, इसकी जानकारी देनी होगी। इस व्यवस्था से इनपुट टैक्स रिबेट क्लेम करने की सहूलियत होगी।
क्या हर व्यापारी के लिए HSN कोड लिखना जरुरी होगा ?
ऐसे व्यापारी जो सालाना 5 करोड़ रूपए से ज्यादा का व्यापार कर रहे है , उन्हें बिल जारी करते वक़्त HSN कोड लिखना जरुरी होगा। छोटे व्यापारियों को सरकार की तरफ से कुछ राहत दी जा रही है। ऐसे व्यापारी जिन्होंने कम्पोजीशन स्कीम (Composition Scheme) का चयन किया है , उन्हें HSN कोड लिखने की बाध्यता से मुक्त किया गया है।
बिल बनाते समय किस चीज का ध्यान रखना होगा ?
बिल बनाना नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का संभवतया सबसे अहम हिस्सा है। इसके आधार पर ही इनपुट टैक्स क्रेडिट निर्धारित होगा। प्रारूप नियमों के मुताबिक बिल में विस्तृत ब्योरा देना होगा। बिल में जरूरी सूचना नहीं भरने या गलत भरने की स्थिति में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा खारिज किया जा सकता है या इसमें देरी हो सकती है। मुख्य रूप से बिल में करीब 16 विवरण भरने होंगे। इनमें आपूर्तिकर्ता और खरीदार की विभिन्न जानकारियां शामिल हैं। ये एचएसएन (हार्मनाइज्ड सिस्टम ऑफ नॉमेनक्लेचर), प्राप्तकर्ता की 15 अंकों की वस्तु एवं सेवा करदाता पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) और जहां डिलिवरी की जानी है, उसका राज्य का कोड शामिल हैं।
क्या सर्विसेज के लिए भी HSN कोड रहेगा ?
जिस तरह वस्तुओं के लिए HSN कोड बनाया गया है, ऐसे ही सेवाओं के लिए भी ‘ सर्विसेज एकाउंटिंग कोड ‘ मतलब SAC कोड बनाये गए हैं।
कोड की जानकारी कैसे मिलेगी ?
वस्तुओं के HSN कोड की जानकारी इंटरनेट के जरिए विभिन्न वेबसाइट, जीएसटी अधिकारी , जल्द शुरू होने वाली सरकार द्वारा हेल्पलाइन सेवा, सीए और कर सलाहकारो से पता किया जा सकता है।
जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) के दायरे में आने वाली वस्तुओं का वर्गीकरण तो कर दिया गया है किंतु अभी तक एचएसएन (हार्मोनाइज्ड सिस्टम आफ नामेनक्लचर) कोड आधारित वस्तुओं की दरें नहीं तय की गई हैं। वस्तुओं पर कर की दरें तय करने के लिए जीएसटी काउंसिल के विशेष सचिवों पर जिम्मेदारी दी गई है – सोहिल दम्मानी, इंदौर.