13860 करोड़ रू. का बड़ो का खेल या देश की व्यवस्था का मखोल-मजाक ?
13860 करोड़ रू. का बड़ो का खेल या देश की व्यवस्था का मखोल-मजाक ?
हालाकि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की मृत्यु से ‘आय घोषणा योजना (आई.डी.एस. स्कीम -2016)’ के तहत एक रू. 13860 करोड़ की आय की घोषणा (डिक्लेरेसन) की खबर हाल-फिलहाल भले ही दब गयी हो, लेकिन रू.13860 करोड़ की बात अभी बहुत दूर तक जायेगी कि ‘क्या यह बड़ो का खेल’ था या ‘देश की व्यवस्था का मखोल व मजाक’ ?
वेसे भी मामले में आयकर विभाग की नजर में गंभीरता बहुत कम है क्योकि महेश शाह के पास न तो कोई ऐसी आय है और न हीं रोकड़ / नकदी. यदि कुछ भी संभावना होती तो अभी तक महेश शाह के घर या उससे जुड़े लोगो के घर आयकर की सर्च हो चुकी होती. आगे आने वाले समय में शीघ्र ही पता भी चल जाएगा कि यह महेश शाह का मात्र बच्चो का खेल था या कुछ बड़े लोगो का खेल.
महेश शाह के मामले में अब थोड़ा स्कीम को भी समझले. टीवी रिपोर्ट्स के अनुसार (जो कि सत्य ही है) महेश शाह ने योजना कि अंतिम तिथि 30.09.2016 को आवेदन पत्र फॉर्म-1 में ‘आय घोषणा योजना (आई.डी.एस. स्कीम -2016)’ के तहत रू. 13860 करोड़ की आय की घोषणा की थी तथा उक्त आवेदन के अनुसार ‘घोषणा योग्य आय’ व उस पर टैक्स व पेनेल्टी की गणना की जांच करके 15.10.2016 को या उससे पूर्व अहमदाबाद के सम्बंधित प्रमुख आयकर आयुक्त ने फॉर्म-2 में आवेदन की पावती (Acknowledgement) जारी कर दिया था. अत: अब यह कहना कि रू. 13860 करोड़ की आय की घोषणा को 65250 करोड़ की कुल घोषणा में शामिल नहीं किया था, बड़ा ही अविश्वश्नीय व हास्यास्पद होने के साथ झूठा दावा प्रतीत होता है.
पूरे देश में ‘आय घोषणा योजना (आई.डी.एस. स्कीम -2016)’ के तहत की गयी घोषणा के लिए ‘घोषणा योग्य आय’ व उस पर टैक्स व पेनेल्टी की गणना की जांच करके 15.10.2016 को या उससे पूर्व सभी घोषणाकर्ताओं को सम्बंधित प्रमुख आयकर आयुक्त ने फॉर्म-2 में आवेदन की पावती (Acknowledgement) जारी कर दिये थे तथा ऐसे आवेदनों को 30.11.2016 से पहले खारिज करने का कोई प्रावधान ही नहीं था, तो रू. 13860 करोड़ की आय की घोषणा को 65250 करोड़ (67382 करोड़ रिवाइज्ड राशि) की कुल घोषणा में शामिल नहीं करने का कोई प्रश्न ही नहीं था.
हालाकि पूरे दो माह के बाद दिसम्बर,2016 में आयकर विभाग द्वारा स्पष्टीकरण जारी कर बताया गया है कि 65250 करोड़ की आय की घोषणा में महेश शाह की यह रू. 13860 करोड़ की आय शामिल नहीं थी जबकि पहले इसका आवेदन स्वीकार कर लिया गया था तथा 01.10.2016 की घोषणा के समय तथा 15.10.2016 तक भी रू. 13860 करोड़ का अलग से कोई जिक्र नहीं था. लेकिन अब गोपनीयता के बहाने, यह शायद ही सत्यापित हो पायेगा कि 65250 करोड़ की आय की घोषणा में महेश शाह की यह रू. 13860 करोड़ की आय शामिल थी या नहीं ? अब मान सकते है कि सारे राज राज ही बने रहेंगे.
जन चर्चा के अनुसार या तो सरकारी दूरदर्शिता की कमी के चलते रू. 13860 करोड़ का यह बच्चो का खेल एक पागल व्यक्ति ने खेला था या फिर इस असफल योजना की इज्जत बचाने व उसे सफल दिखाने के लिए इस फर्जी घोषणा का सहारा लिया गया जिसके लिए महेश शाह मात्र एक मोहरा था. अब यह तो तय है कि या तो महेश शाह सत्य नहीं बोलेगा और यदि महेश शाह ने सच उगला तो भारत सरकार का ‘आयकर विभाग’ सत्य को जनता के सामने कभी नहीं रखेगा. यह कहानी एक तरह से देश की व्यवस्था का दुखदायी ‘मखोल व मजाक’ है – सीए के. सी. मूंदडा